नीतीश कुमार को बड़ा झटका, जेडीयू के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ने दिया इस्तीफा Namami Gange Yojana: बिहार के इस जिले को केंद्र सरकार की सौगात, नमामी गंगे और अटल मिशन के तहत मिलेगा साढ़े पांच सौ करोड़ का विकास पैकेज Parenting Tips: पढ़ाई के दौरान क्यों आती है बच्चों को नींद? ये काम करें; दूर हो जाएगी परेशानी Bihar politics: बहुमत है, पर नैतिकता नहीं', बीजेपी पर बरसे मनोज झा, वक्फ कानून की वापसी की उठाई मांग! Life Style: हार्ट अटैक से पहले आपका शरीर देता है कई संकेत, अगर यह परेशानी है तो तुरंत टेस्ट कराएं सजना-संवरना बन गया बड़ी मुसीबत: पत्नी ने कराया फेसियल, तो पति ने ससुराल में ही कर दिया बड़ा कांड CBI Raid in Patna: पटना में CBI का बड़ा एक्शन, छापेमारी कर शातिर को दबोचा; जानिए.. क्या है मामला? CBI Raid in Patna: पटना में CBI का बड़ा एक्शन, छापेमारी कर शातिर को दबोचा; जानिए.. क्या है मामला? Bihar Politics: तेजस्वी यादव का कलेजा क्यों फट रहा..? बिहार BJP ने किया खुलासा Vande metro train Bihar: बिहार को मिलेगी पहली वंदे मेट्रो, पटना से इस रूट पर दौड़ेगी नमो भारत ट्रेन...PM मोदी 24 अप्रैल को दिखाएंगे हरी झंडी!
PATNA : एक समय था जब छात्रों का एक हिस्सा सरस्वती पूजा का आयोजन करता था, लेकिन समय के साथ पूजा-पाठ का प्रारूप भी बदल गया. अब हरेक चौक-चौराहों पर पूजा होती है. बड़े-बड़े पंडालों में बड़ी-बड़ी मूर्तियां, साथ मे 200 फीट वाला डीजे बाजा, जैसे लगता है कि पूजा पंडाल के आयोजकों पर भगवान का विशेष ध्यान हो गया हो.
आज से 20 वर्ष पहले जब हम जाते है तो पिता जी कहते कि सरस्वती पूजा हमलोग अपने स्कूल में मनाते थे. स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षक मिलकर पूजा करते थे और उस पूजा में स्कूली बच्चें उनका साथ देते थे. पहले पूजा धार्मिक अनुष्ठान के रूप में विधिवत किया जाता था. लेकिन समय के प्रारूप के साथ पूजा का प्रारूप भी बदलता जा रहा है.
16 फरवरी को सरस्वती पूजा है. आज् से ही मूर्तियां लोग ले जा रहे है. लेकिन आश्चर्यजनक बात तो ये है कि ठेले पर रखी माँ सरस्वती की मूर्ति के समक्ष ही एक बड़ा सा साउंड बॉक्स भी रखा हुआ है. बैटरी के साथ और उस साउंड बॉक्स से जो आवाज निकल रही है. उसके बारे में तो पूछिये मत ? विद्या की देवी माँ सरस्वती भी घुटन महसूस कर रही होंगी. सरस्वती मां का पूजन हमलोग विद्या प्राप्त करने के लिए करते है लेकिन ठेलों के सहारे माँ की प्रतिमाएं ले जाने वालों की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है, उन्हें नही मालूम कि माता सरस्वती की पूजन हम क्यो करते है ?
सवाल ये खड़ा होता है कि क्या ये लोग जो सरस्वती माता के पूजन में अश्लीलता फैला रहे है. इन्हें समाज क्यो परवरिस दे रहा है. मुंह में गुटखा खाये ठेले पर रखी प्रतिमाओं के साथ फूहड़ता से परिपूर्ण गीत. हमारी आस्थाओं पर एक गहरा घात है आखिर कौन निकलेगा हमे इस दलदल से ? और कैसे निकलेंगे हम ? भारतीय संस्कृति और सभ्यता को तार-तार करने वाले ऐसे लोगो के बारे में हम क्या कहेंगे ? सवाल ये है कि पूजा के नाम पर हम समाज मे अश्लीलता को परोसने वालो को तवज्जो क्यो दे रहे. ये पूजा है या फिर पूजा के नाम पर अश्लील गीतों का मेला ?
समाज मे ऐसे लोगो को प्रतिकार जरूरी है जो सामाजिक ढांचों और प्रारूपों को तार-तार कर अपने उत्सवों को मनावे, हमारे भारतीय संस्कृति में ऐसे पूजा का कोई महत्व नही.