ब्रेकिंग न्यूज़

कटिहार सदर अस्पताल में सांप के काटने से महिला की मौत, परिजनों ने डॉक्टरों पर लगाया लापरवाही का आरोप कायमनगर में महिला चौपाल: सोनाली सिंह ने सुनीं महिलाओं की समस्याएं, दी माई-बहिन मान योजना की जानकारी सनातन जोड़ो यात्रा के तीसरे चरण में उमड़ा जनसैलाब, राजकुमार चौबे बोले..बक्सर बन सकता है अयोध्या-काशी से भी आगे पैतृक गांव महकार में केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने सादगी से मनाया अपना बर्थडे, हम कार्यकर्ताओं ने दी जन्मदिन की बधाई IRCTC New Rule: 1 अक्टूबर से ऑनलाइन टिकट बुकिंग में बड़ा बदलाव, आधार को लेकर सामने आई नई बात; जानिए.. नया नियम IRCTC New Rule: 1 अक्टूबर से ऑनलाइन टिकट बुकिंग में बड़ा बदलाव, आधार को लेकर सामने आई नई बात; जानिए.. नया नियम बड़हरा से अजय सिंह की पहल पर अयोध्या के लिए रवाना हुआ 16वां जत्था, अब तक 2850 श्रद्धालु कर चुके रामलला के दर्शन Bihar News: बिहार में ससुराल जा रहे युवक की सड़क हादसे में मौत, दो महीने पहले हुई थी शादी Bihar News: बिहार में ससुराल जा रहे युवक की सड़क हादसे में मौत, दो महीने पहले हुई थी शादी Bihar News: बिहार में इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक के टॉपर्स को लैपटॉप देगी सरकार, इंजीनियर्स डे पर मंत्री ने की घोषणा

ये कैसी सरस्वती पूजा ? भटके विद्यार्थियों को शिक्षित होने की जरूरत : शैलेश कुमार राय

1st Bihar Published by: Updated Sun, 14 Feb 2021 09:55:01 AM IST

ये कैसी सरस्वती पूजा ? भटके विद्यार्थियों को शिक्षित होने की जरूरत : शैलेश कुमार राय

- फ़ोटो

PATNA : एक समय था जब छात्रों का एक हिस्सा सरस्वती पूजा का आयोजन करता था, लेकिन समय के साथ पूजा-पाठ का प्रारूप भी बदल गया. अब हरेक चौक-चौराहों पर पूजा होती है. बड़े-बड़े पंडालों में बड़ी-बड़ी मूर्तियां, साथ मे 200 फीट वाला डीजे बाजा, जैसे लगता है कि पूजा पंडाल के आयोजकों पर भगवान का विशेष ध्यान हो गया हो.


आज से 20 वर्ष पहले जब हम जाते है तो पिता जी कहते कि सरस्वती पूजा हमलोग अपने स्कूल में मनाते थे. स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षक मिलकर पूजा करते थे और उस पूजा में स्कूली बच्चें उनका साथ देते थे. पहले पूजा धार्मिक अनुष्ठान के रूप में विधिवत किया जाता था. लेकिन समय के प्रारूप के साथ पूजा का प्रारूप भी बदलता जा रहा है. 


16 फरवरी को सरस्वती पूजा है. आज् से ही मूर्तियां लोग ले जा रहे है.  लेकिन आश्चर्यजनक बात तो ये है कि ठेले पर रखी माँ सरस्वती की मूर्ति के समक्ष ही एक बड़ा सा साउंड बॉक्स भी रखा हुआ है. बैटरी के साथ और उस साउंड बॉक्स से जो आवाज निकल रही है. उसके बारे में तो पूछिये मत ? विद्या की देवी माँ सरस्वती भी घुटन महसूस कर रही होंगी. सरस्वती मां का पूजन हमलोग विद्या प्राप्त करने के लिए करते है लेकिन ठेलों के सहारे माँ की प्रतिमाएं ले जाने वालों की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है, उन्हें नही मालूम कि माता सरस्वती की पूजन हम क्यो करते है ? 


सवाल ये खड़ा होता है कि क्या ये लोग जो सरस्वती माता के पूजन में अश्लीलता फैला रहे है. इन्हें समाज क्यो परवरिस दे रहा है. मुंह में गुटखा खाये ठेले पर रखी प्रतिमाओं के साथ फूहड़ता से परिपूर्ण गीत. हमारी आस्थाओं पर एक गहरा घात है आखिर कौन निकलेगा हमे इस दलदल से ? और कैसे निकलेंगे हम ? भारतीय संस्कृति और सभ्यता को तार-तार करने वाले ऐसे लोगो के बारे में हम क्या कहेंगे ? सवाल ये है कि पूजा के नाम पर हम समाज मे अश्लीलता को परोसने वालो को तवज्जो क्यो दे रहे. ये पूजा है या फिर पूजा के नाम पर अश्लील गीतों का मेला ?


समाज मे ऐसे लोगो को प्रतिकार जरूरी है जो सामाजिक ढांचों और प्रारूपों को तार-तार कर अपने उत्सवों को मनावे, हमारे भारतीय संस्कृति में ऐसे पूजा का कोई महत्व नही.