ARARIA : हम जो आपको कहानी बताने जा रहे हैं वह कोरोना की सबसे भयावह कहानी है. बिहार के अररिया में कोरोना का शिकार बन मां औऱ बाप दोनों गुजर गये. पहले पिता की मौत हुई औऱ चार दिन बाद मां भी चल बसी. शव के अंतिम संस्कार के लिए भी कोई नहीं आया तो नाबालिग बेटी ने खुद कब्र खोदी औऱ मां के शव को दफनाया. दो बहनों औऱ एक भाई वाले इस परिवार के पास अब जीने का कोई सहारा नहीं बचा.
अररिया के रानीगंज की दिल दहलाने वाली कहानी
ये घटना बिहार के अररिया जिले के रानीगंज की है. रानीगंज प्रखंड के बिशनपुर में एक परिवार पर वज्र टूट पड़ा है. 40 साल के वीरेंद्र मेहता औऱ उनकी पत्नी प्रियंका देवी को 10 दिनों पहले खांसी औऱ बुखार हुआ. 28 अप्रैल को दोनों ने अररिया के फारबिसगंज में अपनी जांच करायी. दोनों कोरोना पॉजिटिव पाये गये. दोनों की तबीयत लगातार बिगडती जा रही थी इसलिए कहीं से पैसे का इंतजाम कर पूर्णिया के निजी अस्पताल में भर्ती हुए.
पहले पिता और फिर मां की मौत
चार दिन पहले पूर्णिया के निजी अस्पताल में ही वीरेंद्र मेहता की मौत हो गयी. सरकारी इंतजाम के कारण वीरेंद्र मेहता का पूर्णिया में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया. उधऱ पत्नी प्रियंका देवी की हालत गंभीर बनी हुई थी. जिस अस्पताल में भर्ती थी वहां रोज पैसे की मांग की जा रही थी. परिवार वाले जब सक्षम नहीं हुए तो प्रियंका देवी को लेकर घर लौट आये. घर पर तबीयत और बिगड़ती गयी. गुरूवार की रात जब प्रियंका देवी की तबीयत काफी खराब हुई तो उन्हें फारबिसगंज के सरकारी कोरोना अस्पताल में ले जाया गया. डॉक्टरों ने उन्हें मधेपुरा के मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया. मधेपुरा ले जाने के क्रम में ही उनकी मौत हो गयी. शुक्रवार की सुबह प्रियंका देवी ने दम तोड़ दिया.
नाबालिग बेटी ने शव को दफन किया
प्रियंका देवी का शव वापस गांव में लाया गया. लेकिन कोरोना के डर से गांव का कोई आदमी अंतिम संस्कार में मदद के लिए सामने नहीं आया. घर में मां की लाश पडी थी औऱ कोई सहारा नहीं था. आखिरकार परिवार की बड़ी बेटी सोनी कुमारी ने खुद साहस जुटाया. पीपीई किट पहना औऱ खेत में जाकर गढ़ढा खोदा फिर अपनी मां के पार्थिव शरीर को उसमें दफन किया.
मां-बाप दोनों की मौत हो गयी है औऱ इस परिवार में सिर्फ तीन बच्चे बचे हैं. दो बेटियां औऱ एक भाई. तीनों नाबालिग. जिंदगी चलाने का भी कोई साधन नहीं बचा है.