विवादों में जातिय जनगणना: किन्नरों के बाद सिखों ने उठाए सवाल, कोडिंग में जगह नहीं मिलने पर जताई नाराजगी

विवादों में जातिय जनगणना: किन्नरों के बाद सिखों ने उठाए सवाल, कोडिंग में जगह नहीं मिलने पर जताई नाराजगी

KISHANGANJ: बिहार में आगामी 15 अप्रैल से जातिय जनगणना का दूसरा चरण शुरू होने वाला है। सरकार की तरफ से जातिय जनगणना को लेकर विभिन्न जातियों के कोड जारी किए गए हैं। जाति का कोड जारी होने के बाद बिहार में जातिगत गणगणना विवादों में घिरता जा रहा है। किन्नरों के बाद अब सिख समुदाय के लोगों ने भी जातिय जनगणना पर सवाल उठाए हैं। जातियों के लिए की गई कोडिंग में जगह नहीं मिलने पर सिख समुदाय के लोगों में भारी नाराजगी है और सिख समुदाय के लोगों ने आंदोलन की चेतावनी दे दी है।


दरअसल, बिहार में जातिय जनगणना का पहला चरण पूरा हो चुका है। सरकार 15 अप्रैल से दूसरे चरण के जातिय जनगणना की शुरुआत करने जा रही है। इसको लेकर सभी तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं। इसी बीच इसको लेकर विवाद भी छिड़ गया है। जातिय जनगणना के लिए सरकार द्वारा की गई कोडिंग में लगातार गड़बड़ियां सामने आ रही है। सबसे पहले श्रीवास्तव और लाला को कायस्थ की जगह दर्जी की श्रेणी में दिखा दिया गया था, कायस्थ समाज के विरोध के बाद उस गलती को ठीक किया गया। 


इसके बाद किन्नरों ने सरकार की तरफ से जारी कोडिंग को लेकर सवाल खड़ा किया। ट्रांसजेंडर जाति कोड नंबर 22 को लेकर विरोध जता रहे है। किन्नरों का कहना है कि ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं है बल्कि लिंग है, जबकि सरकार ने इसे जाति की श्रेणी में रखा है और इसका कोड भी जारी किया है। ट्रांसजेंडरों का कहना है कि यदि सरकार इसमें सुधार नहीं करती है तो मजबूरन उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। उनका कहना है कि उनकी पहचान किसी जाति से नहीं है बल्कि लैंगिक तौर पर है।


अब जातियों की कोडिंग से सिख समुदाय को बाहर किए जाने को लेकर विरोध शुरू हो गया है। सरकार की तरफ से जातियों के लिए की गई कोडिंग से सिखों को बाहर रखा है। इसको लेकर किशनगंज में सिख समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने सचेतक विरोधी दल सह विधान पार्षद डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल से मुलाकात की है और अपनी बातों को उनके सामने रखा है। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार लक्खा सिंह ने कहा कि जातिगत जनगणना में सिखों को पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया गया है और अलग से कोई कोड नहीं दिया गया है। उनका कहना है कि जातिगत जनगणना में सिखों को नजरअंदाज कर दिया गया है, अगर समय रहते इसमें सुधार नहीं होता है तो इसके लिए आंदोलन होगा।