NDA में गांठ देखकर बैकफुट पर आया JDU, मीनापुर से बदल दिया कैंडिडेट

NDA में गांठ देखकर बैकफुट पर आया JDU, मीनापुर से बदल दिया कैंडिडेट

PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच टिकट देने में जेडीयू में खेल जारी है. मीनापुर में जेडीयू उम्मीदवार का विरोध हुआ तो उन्होंने अपना सिंबल ही लौटा दिया. जिसके बाद जेडीयू ने मनोज कुशवाहा से सिंबल लेकर मनोज कुमार को सिंबल दे दिया है. विरोध के बीच जेडीयू ने मीनापुर में अपना उम्मीदवार को बदल दिया है. 

गलती से गया सिंबल

जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि मनोज कुशवाहा पार्टी के सम्मानित नेता हैं. उनको टिकट देने में गलती हुई है. लिहाजा अब पार्टी सही उम्मीदवार को टिकट दे रही है. ऐसे में जिस मनोज कुशवाहा को पार्टी ने टिकट दिया था अब उसे वापस ले लिया गया है. उनकी पार्टी पर आस्था है. 

सिंबल किया वापस

मनोज कुशवाहा आज मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपना सिंबल वापस करेंगे. फर्स्ट बिहार ने इस मसले पर मनोज कुशवाहा से विस्तार से बातचीत की है. मनोज कुशवाहा ने कहा है कि जब मीनापुर पहुंच कर उन्होंने जमीन की सच्चाई देखी तो उनके होश उड़ गए ना केवल बीजेपी के कार्यकर्ता उनके विरोध में खड़े हैं बल्कि जेडीयू के भी उन नेताओं और कार्यकर्ताओं के अंदर विरोध है. जो वहां से टिकट चाहते थे. मनोज कुशवाहा ने कहा है कि वह कुढ़नी विधानसभा सीट से सिंबल चाहते थे लेकिन बीजेपी की सीटिंग सीट होने के कारण वहां से पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया. नीतीश कुमार  के दबाव में मैं चुनाव लड़ने के लिए मीनापुर गया. लेकिन अब मुझे पता चला कि वहां एनडीए एकजुट नहीं है.



बीजेपी के कार्यकर्ता नहीं कर रहे सहयोग

मनोज कुशवाहा 2015 के विधानसभा चुनाव में कुढ़नी सीट से जदयू के उम्मीदवार थे लेकिन उन्हें बीजेपी के उम्मीदवार केदार प्रसाद से हार का मुंह देखना पड़ा. तब नीतीश कुमार महागठबंधन के हिस्से में थे. लेकिन अब सीटिंग सीट होने के कारण बीजेपी के पाले में कुढ़नी विधानसभा सीट है. ऐसे में मनोज कुशवाहा को मीनापुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया. लेकिन अब कुशवाहा ने चुनाव लड़ने से पहले ही हाथ खड़े कर दिए हैं. फर्स्ट बिहार ने जब उनसे एनडीए की एकजुटता को लेकर सवाल पूछा तो उनका कहना था कि बिहार में एनडीए के अंदर एकजुटता की कमी हार का बड़ा कारण बन सकती है. मनोज कुशवाहा ने कहा कि अब कुढ़नी की जनता के निर्देश पर वह तय करेंगे कि निर्दलीय चुनाव लड़ा जाए या नहीं.