PATNA: राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी बानने वाले उपेंद्र कुशवाहा को लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी बीजेपी राज्यसभा में भेज रही है. लेकिन बीजेपी ने कुशवाहा को काबू में रखने का भी इंतजाम कर दिया है. बीजेपी को ये भी डर है कि उपेंद्र कुशवाहा आने वाले दिनों में इधर-उधर भी कर सकते हैं. लिहाजा उनकी कमान कसे रखना है.
उपेंद्र कुशवाहा को काबू में रखने की तैयारी
बीजेपी ने उपेंद्र कुशवाहा को कैसे काबू में रखने की कोशिश की, इसे समझने के लिए राज्यसभा की जिन दो सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, उनकी कहानी जानिये. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में राज्यसभा के दो सांसद जीत गये. राजद की मीसा भारती और बीजेपी के विवेक ठाकुर. इन दोनों ने राज्यसभा की सीट से इस्तीफा और उन्हीं दोनों सीट पर उप चुनाव हो रहा है. मीसा भारती का कार्यकाल 7 जुलाई 2028 तक था. वहीं, विवेक ठाकुर का कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 तक था.
बिहार से राज्यसभा की दो सीटों पर अलग-अलग उपचुनाव हो रहे हैं. जो विवेक ठाकुर में जीत हासिल करने वाले उम्मीदवार का कार्यकाल उतना ही रहेगा. यानि जो विवेक ठाकुर की खाली की गयी सीट पर चुना जायेगा उसका कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 तक रहेगा. यानि उसका कार्यकाल सिर्फ पौने दो साल का होगा. वहीं, जो मीसा भारती की खाली की गयी सीट पर चुना जायेगा उसका कार्यकाल 7 जुलाई 2028 तक होगा. यानि उसे 4 साल का टर्म मिलेगा.
उपेंद्र कुशवाहा को सिर्फ पौने दो साल के लिए कुर्सी
बीजेपी ने उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा की जो सीट दी है, वह विवेक ठाकुर द्वारा खाली की गयी सीट है. यानि उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा सांसद बनते हैं तो 9 अप्रैल 2024 में रिटायर हो जायेंगे. उनकी सांसदी खत्म हो जायेगी. बीजेपी ने मीसा भारती के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर अपने उम्मीदवार मनन कुमार मिश्रा को राज्यसभा भेजा है. मनन मिश्रा का कार्यकाल लगभग चार साल का होगा.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी आलाकमान से मांग की थी कि उन्हें 4 साल के कार्यकाल वाली सीट से राज्यसभा भेजा जाये. लेकिन बीजेपी ने उनकी मांग नहीं मानी. बीजेपी की ओर से उन्हें साफ साफ कहा गया कि उन्हें राज्यसभा भेज कर ही अहसान किया जा रहा है, अब इसमें वे अपनी डिमांड नहीं रखें.
बीजेपी सूत्र बतातें हैं कि पार्टी नेतृत्व को इस बात की भी आशंका है कि उपेंद्र कुशवाहा आने वाले दिनों में इधर-उधर कर सकते हैं. ऐसे में उन्हें चार साल के लिए राज्यसभा की सीट देकर बीजेपी रिस्क उठाने के पक्ष में नहीं थी. लिहाजा सिर्फ पौने दो साल का कार्यकाल दिया गया है. पार्टी 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रही है. अगर उसमें सब सही रहता है तो फिर 2026 में उपेंद्र कुशवाहा पर विचार किया जायेगा.