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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 17 Feb 2023 04:59:03 PM IST
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PATNA: अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा द्वारा राजधानी पटना में पटेल सेवा संघ, दरोगा राय पथ पर कुर्मी कुल गौरव छत्रपति शिवाजी महाराज की 393 वी जयंती समारोह सह जननायक कर्पूरी ठाकुर जी का 35वा पुण्यतिथि समारोह का आयोजन किया गया। दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने किया। उपेंद्र कुशवाहा ने कर्पूरी ठाकुर और छत्रपति शिवाजी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की, इसके बाद कार्यकर्ताओं ने तीर कमान और हल देकर कुशवाहा का स्वागत किया। उपेंद्र कुशवाहा ने बयान देते हुए कहा जितना जुझारू जातीय संगठन अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा है शायद ही कोई इतना जुझारू होगा।
उपेंद्र कुशवाहा ने खुले मंच से भाषण देते हुए कहा पिछला 15 साल और नीतीश कुमार का 17-18 साल कोई कंपैरिजन नहीं है। 2020 में जो विधानसभा का चुनाव हो रहा था उस वक्त हम साथ नहीं थे लेकिन उस समय भी 15 साल बनाम 15 साल का नारा हुआ और मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार बने। जो पहले वाला 15 साल था क्या स्थिति थी बिहार किस रूप में चल रहा था, पुराना 15 साल उसको लोगों ने रिजेक्ट किया और नीतीश कुमार के हाथ में सत्ता सौंपने का काम किया। लेकिन दुर्भाग्य इस बात का हो गया नीतीश कुमार जब तक अपने मन से निर्णय ले रहे थे तब तक तो बहुत अच्छा चल रहा था लेकिन जब से अगल बगल में उनके 4 लोग बैठ गए और उनकी इच्छा से नीतीश कुमार चल रहे हैं तब से गरबर हो गया है।
लव-कुश अति पिछड़ा समाज का लोग जिन लोगों ने ताकत देने का काम किया वह लोग चाहते हैं नीतीश कुमार को, उपेंद्र कुशवाहा ने हाथ जोड़कर नीतीश कुमार से कहा कि जिन लोगों ने आप के अगल-बगल घेर लिया है उन लोगों के अनुसार मत चलिए। जो लोग आपके अगल-बगल हैं उनको भूल जाइए, बड़ी कुर्बानी देकर समता पार्टी का निर्माण हुआ था। कर्पूरी ठाकुर के बाद की विरासत को नीतीश कुमार ने संभालने का काम किया, वरना दूसरी विरासत वाले लोग भी पहले प्रयास कर रहे थे लेकिन लव कुश समाज और अति पिछड़ा समाज के लोगों ने उन लोगों को ताकत नहीं दिया, ताकत नीतीश कुमार को दिया। विरासत निश्चित तौर पर नीतीश कुमार के हाथ में आई लेकिन आज उस विरासत का क्या होगा यह चिंता का विषय है।
पहले भी हमने कहा है उपेंद्र कुशवाहा का चेहरा अगर नहीं लगता हो कि मुनासिब है तो लव-कुश समाज में अकेले उपेंद्र कुशवाहा नहीं है बहुत सारे लोग हैं उनमें से किसी का चेहरा ले आइए। किसी को भी ले आइए लेकिन इस विरासत को आगे ठीक से लेकर चला जा सके इस बात की चिंता कीजिए, लेकिन आज जो कुछ भी हो रहा है अब घोषणा हो चुकी है और जो घोषणा हुई है उसके हिसाब से मैं कहना चाहता हूं। लवकुश समाज की जो माताएं हैं उनकी कोख सूनी नहीं हुई है आप इस विरासत को फिर वही सौंपने की बात होगी जहां से विरासत को छीन कर लाए थे यह नहीं चलेगा। तूफान से कश्ती को हम लोग इसलिए निकाल कर लाए थे कि फिर से उसी तूफान में धकेलने का काम करें। इस विरासत को संभालने की जवाबदेही किसी लव-कुश समाज के या फिर अति पिछड़ा समाज के किसी को दी जाए, लेकिन फिर से बिहार उसे खौफनाक मंजर की ओर जाएगा तो इतिहास हमें भी माफ नहीं करेगा।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा हुंकार भरने की जरूरत इसलिए पड़ी थी कि पटना के गांधी मैदान में जो प्रतिनिधि इकट्ठा हुए थे उनके लोगों ने भी उस वक्त जो सत्ता में लोग बैठे हुए थे उनको सत्ता में बैठाने में ताकत लगाने का काम किया था, तत्कालीन सत्ता में बैठे हुए लोगों को उन लोगों ने भी ताकत दी तब वह सत्ता में बैठे थे। लेकिन जो लोग सत्ता में बैठ गए दुर्भाग्य इस बात का हुआ कि खुद तो बैठ गए लेकिन जिनके ताकत की बदौलत सत्ता में बैठे उनको ही भूलने लगे। नतीजा हुआ कि गांधी मैदान में आकर लोगों को हुंकार भरना पड़ा, फिर वहां से एक नई ताकत की आहट आने लगी। वही आहट जो बाद में चलकर एक ताकत के रूप में परिवर्तित हुई उसी का नाम हुआ समता पार्टी राजनीतिक संगठन, समता पार्टी उस वक्त बनी गांधी मैदान में लोगों ने आकर आदेश जारी किया उस आदेश को ग्रहण किया गया और समता पार्टी का निर्माण हुआ। समता पार्टी का नाम बाद में बदलकर जनता दल यूनाइटेड रखा गया, 2005 में जब मुकाम पर समता पार्टी पहुंची , नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तब हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। उपेंद्र कुशवाहा संघर्ष के समय कभी इधर-उधर नहीं किया, उपेंद्र कुशवाहा सुख में साथ रहा हो या ना हो दुख में हमेशा साथ रहा है, आज बहुत सारे लोग हैं जिनका कुछ अता पता नहीं था उस समय और आज उल्टा हमारे बारे में ही टिप्पणी करते हैं। इतिहास नीतीश कुमार का नाम हमेशा याद रखेगा, जो बिहार की स्थिति उस समय थी, उस स्थिति से नीतीश कुमार ने बिहार को निकाला।