ब्रेकिंग न्यूज़

बिहार में नहीं थम रहा भूमि विवाद का मामला: मुजफ्फरपुर में जमीन कारोबारी की हत्या, दूसरे की हालत गंभीर CBSE Board 12th Result 2025: गोल इंस्टीट्यूट के छात्र-छात्राओं ने लहराया परचम PATNA: बिहार के शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए अच्छी खबर, वेतन भुगतान के लिए 28 अरब से अधिक की राशि जारी Patna News: पटना में लेडीज स्पेशल पिंक बस के परिचालन का मार्ग निर्धारित, जानिए.. किराया और रूट Patna News: पटना में लेडीज स्पेशल पिंक बस के परिचालन का मार्ग निर्धारित, जानिए.. किराया और रूट Bihar News: अब विदेशी भाषा सीखेंगे बिहार के छात्र, राज्यभर के 15 इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई शुरुआत Bihar News: अब विदेशी भाषा सीखेंगे बिहार के छात्र, राज्यभर के 15 इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई शुरुआत Operation Sindoor: बिहार के लाल शहीद रामबाबू सिंह ने देश के लिए लुटा दी जान, हाल ही में हुई थी शादी; बॉर्डर पर चलाते थे एयर डिफेंस सिस्टम s 400 Operation Sindoor: बिहार के लाल शहीद रामबाबू सिंह ने देश के लिए लुटा दी जान, हाल ही में हुई थी शादी; बॉर्डर पर चलाते थे एयर डिफेंस सिस्टम s 400 PURNEA: विद्या विहार आवासीय विद्यालय में जश्न का माहौल, CBSE की 12वीं परीक्षा में शानदार प्रदर्शन

उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे महागठबंधन की एकजुटता, जानिए क्या होगा असर

1st Bihar Published by: Updated Sun, 06 Nov 2022 07:14:41 AM IST

उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे महागठबंधन की एकजुटता, जानिए क्या होगा असर

- फ़ोटो

PATNA : बिहार विधानसभा की दो सीटों के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे आज सामने आ जाएंगे। मोकामा और गोपालगंज में जनता का फैसला आज आना है। इन दो सीटों के लिए हुए उपचुनाव का असर ना तो सरकार पर पड़ना है और ना ही विपक्ष पर लेकिन मनोवैज्ञानिक बढ़त के साथ–साथ बिहार में नए महागठबंधन की मजबूती के लिहाज से यह नतीजे बेहद खास होने वाले हैं। मोकामा और गोपालगंज दोनों सीटों पर आरजेडी और बीजेपी के उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर है। जेडीयू किसी भी सीट पर सीधी चुनौती नहीं ले रही है लेकिन नीतीश कुमार की साख तेजस्वी यादव के साथ-साथ दांव पर लगी हुई है। डिप्टी सीएम रहते हुए तेजस्वी यादव के लिए यह पहला उपचुनाव है जबकि नीतीश कुमार ऐसे कई उपचुनाव का सामना कर चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर तेजस्वी यादव ने बोचहां उपचुनाव में जीत हासिल कर मनोवैज्ञानिक बढ़त ली थी और उसके बाद बिहार में सरकार बदल गई। इसके पहले जेडीयू ने दो सीटों पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी। एक तरफ जहां सत्ताधारी दलों की साख दांव पर लगी हुई है तो वहीं बीजेपी के पास अपना किला बचाने की चुनौती है। बीजेपी गोपालगंज सीट को बचाने के साथ-साथ मोकामा में बड़ा उलटफेर करने के फिराक में है। 


साल 2015 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो बिहार में चाचा–भतीजे की यह जोड़ी अब तक साथ साथ चुनाव नहीं लड़ी है। तब तेजस्वी विधायक भी नहीं थे। ऐसा पहली बार हो रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव हो और बिहार में चुनाव का नतीजा आने वाला है। तेजस्वी यादव के उप मुख्यमंत्री बनने के बाद अगर इन दोनों सीटों पर आरजेडी का कब्जा होता है तो इससे आरजेडी अपने समर्थकों में यह मैसेज दे पाएगी कि तेजस्वी का जादू बिहार में उनके पिता लालू यादव की तरह ही चल निकला है, साथ ही साथ महागठबंधन की एकजुटता भी साबित हो जाएगी। नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार नहीं करने के बावजूद अगर आरजेडी दोनों सीटों पर जीत हासिल कर लेती है तो नीतीश और जेडीयू ये मैसेज दे पाएंगे कि महागठबंधन का वोट बैंक बहुत बड़ा है और नीतीश कुमार के नेतृत्व पर लोगों को भरोसा है। जनता दल यूनाइटेड नीतीश कुमार के बीजेपी से अलग जाने के फैसले को भी सही बता पाएगी। 


उपचुनाव के नतीजे अगर महागठबंधन के पक्ष में नहीं आते हैं तो एकजुटता पर सवाल खड़ा होने में भी देर नहीं लगेगी। तब सवाल यह पैदा होगा कि क्या नीतीश कुमार के साथ जाकर तेजस्वी यादव का जादू कम हो गया? क्या नीतीश के नेतृत्व को लेकर बिहार में जो नाराजगी है उसके कारण तेजस्वी के उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा? अगर नीतीश कुमार चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए तो क्या इसका मतलब यह है कि नीतीश जमीनी हकीकत को समझकर दूर रह गए? ऐसे कई सवाल है जो हार के बाद उठेंगे तेजस्वी यादव के मन में भी यह बात आ सकती है कि नीतीश की एंटी इनकंबेंसी आरजेडी के लिए खतरनाक तो साबित नहीं होगी? तेजस्वी अगर मोकामा सीट बचा पाने में कामयाब होते हैं और गोपालगंज सीट बीजेपी के पास जाती है तो फिर मामला बैलेंस चल सकता है लेकिन उपचुनाव के नतीजे का असर बिहार की राजनीति को अपने तरीके से प्रभावित जरूर करेंगे।