PATNA: बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव हाल हीं में रांची में अपने पिता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर लौटे हैं। यूं तो तेजप्रताप यादव लालू द्वारा रांची इसलिए तलब किये गये थे क्योंकि उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को लेकर एक बयान दिया था जिसको लेकर लालू यादव नाराज थे लेकिन जब तेजप्रताप यादव पिता लालू से मिलने पहुंचे तो खुद के लिए सेफ सीट और समर्थकों के लिए कई सीटों की डिमांड भी की। अंदरखाने से जो खबर निकलकर सामने आ रही है उसके मुताबिक तेजप्रताप इस बार महुआ सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए हसनपुर की सीट चुनी है।
तेजप्रताप यादव अपने खास सिपाहसलारों अंगेश, चंद्रप्रकाश और संदीप कर के लिए भी टिकट चाहते हैं और यह डिमांड भी उन्होंने लालू के सामने रखी है। वे चंद्रप्रकाश को जहानाबाद अंगेश कुमार को शिवहर और संदीप कर को काराकाट की सीट से चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं। इसके साथ हीं तेजप्रताप 2 और सीट चाहते हैं यानि वे विधानसभा की आधा दर्जन सीटों पर अपना दावा ठोंक रहे हैं। लालू को तेजप्रताप की हसनपुर वाली डिमांड तो मंजूर है लेकिन सूत्रों के मुताबिक जहानाबाद, शिवहर और काराकाट को लेकर उन्हें लालू से कोई आश्वासन नहीं मिला है। दूसरी तरफ तेजस्वी विधानसभा की एक भी सीट पर रिस्क लेने के मूड में नहीं है। वे हर सीट पर जिताउ उम्मीदवार चाहते है। इसी रणनीति की वजह से तेजस्वी अपने सहयोगियों को बहुत भाव नहीं दे रहे और सीट शेयरिंग से पहले उनके सामने जिताउ उम्मीदवारों की लिस्ट सामने रखने की शर्त रख रहे हैं।
इधर तेजप्रताप अपने डिमांड से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं वे हर हाल में आधा दर्जन सीटें चाहते हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि तेजप्रताप यादव के लिए यह सवाल सिर्फ सीटों का नहीं है बल्कि पार्टी और परिवार में उनके वजूद का भी है। अगर वे अपने लिए 6 सीटें भी नहीं ले पाते हैं तो फिर पार्टी और परिवार में उनके वजूद को लेकर बड़ा सवाल खड़ा होगा। वजूद के इस संकट को तेजप्रताप भी समझते हैं इसलिए अपनी डिमांड को उन्होंने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। तेजप्रताप यादव के करीबी सूत्रों का दावा है कि अगर उनकी डिमांड नहीं मानी जाती है तो कम से कम काराकाट, जहानाबाद, शिवहर से वे अपने उम्मीदवारों को किसी भी हाल में मैदान में उतारेंगे।
जहानाबाद से आरजेडी विधायक सुरेन्द्र यादव तेजप्रताप को फुटी आंख नहीं सुहाते। लोकसभा चुनाव में उन्होंने सुरेन्द्र यादव के खिलाफ प्रचार किया था। सुरेन्द्र यादव बेहद कम अंतर से चुनाव हारे थे। जीत का अंतर इतना कम था कि देर रात चुनाव का परिणाम सामने आया था। तब यह माना गया था कि अगर तेजप्रताप यादव ने सुरेन्द्र यादव के खिलाफ प्रचार नहीं किया होता तो कम से कम जहानाबाद की सीट आरजेडी जीत जाती और लोकसभा चुनाव में आरजेडी का खाता खुल जाता। ऐसा माना जा रहा है कि पुरानी अदावत की वजह से तेजप्रताप यादव इस बार भी सुरेन्द्र यादव की मुश्किल बढ़ाएंगे और 6 सीटों वाली डिमांड पूरी नहीं हुई तो अपनी पार्टी की भी।