लैंड फॉर जॉब मामले में संजय यादव से CBI ने की पूछताछ, तेजस्वी यादव के निजी सचिव हैं संजय यादव

लैंड फॉर जॉब मामले में संजय यादव से CBI ने की पूछताछ, तेजस्वी यादव के निजी सचिव हैं संजय यादव

DESK: लैंड फोर जॉब मामले से जुड़ी इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है। सीबीआई ने तेजस्वी यादव के प्राइवेट सेक्रेटरी संजय यादव से पूछताछ की है। जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में सीबीआई ने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी के निजी सचिव संजय यादव से घंटों पूछताछ की। 


इससे पहले तेजस्वी यादव के निजी सचिव संजय यादव को CBI ने समन जारी किया था। रेलवे में नौकरी के बदले जमीन से जुड़े मामले में संजय यादव को तलब किया था। संजय यादव को तीसरी बार समन जारी किया गया। जिसके बाद पूछताछ की गयी। बता दें कि लालू के बेहद करीबी और ओएसडी रहे भोला यादव को गिरफ्तार कर सीबीआई पूछताछ कर चुकी है।


गौरतलब है कि रेलमंत्री रहते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने जमीन लेकर नौकरी देने का काम किया था। इसी सिलसिले में सीबीआई ने बीते शुक्रवार को इस मामले में चार्जशीट दाखिल किया था। लालू यादव ही नहीं बल्कि राबड़ी देवी, उनकी बेटी मीसा भारती और हेमा समेत कुल 14 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल किया गया था। सीबीआई ने लालू यादव पर रेल मंत्री रहते नौकरी देने के नाम पर लोगों से जमीन लिखवाने का आऱोप लगाया।


जमीन के बदले नौकरी का मामला

बता दें कि सीबीआई ने आरोप लगाया कि लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते रेबड़ी की तरह सरकारी नौकरी बांटी. बदले में कई लोगों से अपने परिजनों के नाम संपत्ति लिखवा ली. सीबीआई के मुताबिक रेलवे भर्ती घोटाला साल 2004 से 2009 के बीच के समय का है।


आरोपों के मुताबिक लालू यादव जब रेल मंत्री थे तो रेलवे में नौकरी देने के बदले जमीन और प्लॉट लिए गए थे. इस मामले में सीबीआई ने लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा यावद समेत अन्य लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इसी साल मई में एक साथ 17 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. सीबीआई का आरोप है कि रेलवे में ग्रुप डी में नौकरी के बदले पटना के कई प्रमुख स्थानों पर लालू यादव के परिजनों के नाम पर जमीन लिखवायी गयी।


चार्जशीट में CBI ने क्या कहा?

सीबीआई ने अपने चार्जशीट में कहा है कि लालू यादव रेल मंत्री रहते हुए नौकरी बांटने के लिए पूरा रैकेट चला रहे थे. इस घोटाले में जमीन के साथ साथ कैश की भी डीलिंग की गयी. अगर कोई नौकरी के लिए जमीन नहीं दे सकता था तो उससे 7 लाख रूपये कैश लिये गये. अगर कोई परिवार से दो लोगों को नौकरी चाहिये होती थी तो उसे या तो जमीन के दो प्लॉट या फिर 14 लाख रूपये कैश देने होते थे।


घर से चलता था रैकेट 

सीबीआई के मुताबिक नौकरी बांटने के लिए तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के घर पर पूरा एक ऑफिस काम करता था. इसे ट्रेंड लोग चलाते थे. जो नौकरी के लिए जमीन या पैसे देते थे उन्हें सर्टिफिकेट से लेकर दूसरे कागजात तैयार करने में पूरी मदद की जाती थी. फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर भी कई लोगों को नौकरी दी गयी. सीबीआई को ऐसे कई फर्जी कागजात मिले हैं।


बिना विज्ञापन के नौकरी बांटी

सीबीआई के मुताबिक लालू यादव ने जिन लोगों को रेलवे की नौकरी दी, उनकी नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन नहीं निकाला गया. बिहार के छपरा, गोपालगंज, सिवान, पटना जैसे जिलों के लोगों को हैदराबाद, चेन्नई से लेकर गुवाहाटी तक में ग्रुप डी की नौकरी में बहाल कर लिया गया।


जमीन लेने का भी अलग तरीका

सीबीआई के मुताबिक जिन्हें नौकरी दी जा रही थी, उनसे जमीन लेने का भी अलग ही तरीका अपनाया जा रहा था. पहले जमीन किसी और आदमी के नाम रजिस्ट्री की जाती थी, बाद में वही जमीन लालू परिवार के नाम या तो गिफ्ट कर दिया जा रहा था या फिर औने-पौने दाम में रजिस्ट्री कर दी जा रही थी।


पटना में हृदयानंद चौधरी नाम के एक व्यक्ति को रेलवे खलासी की नौकरी दी गयी. उसके नाम पर एक ऐसे व्यक्ति ने जमीन रजिस्ट्री की, जिसके परिवार के एक सद्स्य को रेलवे में नौकरी दी गयी थी. बाद में हृदयानंद चौधरी ने वह जमीन लालू परिवार के नाम गिफ्ट कर दिया।


सीबीआई के मुताबिक इस खेल में लालू यादव ही नहीं बल्कि उनकी पत्नी औऱ बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी, लालू-राबडी की बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव भी शामिल थीं. सीबीआई के मुताबिक लालू परिवार की तरफ से पैसे की डीलिंग भोला यादव कर रहे थे. भोला यादव को लालू यादव ने अपना ओएसडी बना रखा था. सीबीआई ने भोला यादव को गिरफ्तार भी किया था. फिलहाल वे जमानत पर रिहा हैं।