PATNA: तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार के जल जीवन हरियाली योजना पर सवाल उठाया है. तेजस्वी ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, कृषि, विकास की बजाय 24500 करोड़ की “जल जीवन हरियाली” योजना के नाम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी वर्ष में बिहार का खज़ाना लूटाने का एक नया काला अध्याय शुरू किया है.
दोनों दलों के नेताओं को जेब भरना है मकसद
तेजस्वी ने आरोप लगाते हुए फेसबुक पर लिखा है कि ‘’तथाकथित योजना के पीछे नीतीश की यह योजना है कि कैसे चुनावी वर्ष में यह पूरा का पूरा बजट जदयू और भाजपा के कार्यकर्ताओं व नेताओं के जेबों में भरा जाए. इस योजना में सरकार की सक्रियता बस जन के धन को अपने भ्रष्ट मन के अनुसार बंदरबांट करने में है. जल जीवन हरियाली नामक लूट योजना के तहत जदयू व भाजपा के कार्यकर्ताओं को तालाब, पोखर बनवाने या नर्सरी खोलने के लिए 30 लाख से 40 लाख तक दिया जा रहा है. बालिका गृहों की भांति इस योजना का ऑडिट या जांच निष्पक्ष, तटस्थ या गैर सरकारी स्वायत्त संस्था से करवाई जाए जहां किसी प्रकार का कोई हितों का टकराव ना हो, वहां इस महा लूटखसोट की सारी कलई खुल जाएगी. आधे से अधिक तालाब, नर्सरी इत्यादि के दर्शन सिर्फ़ सरकारी कागज़ पर ही होंगे, और बाकी जो वास्तविकता के धरातल पर होंगे भी तो वो या तो सरकारी ज़मीन पर या बिना अनुमति किसी और की निजी संपत्ति पर अतिक्रमण करके ही जैसे तैसे दिखावे को बन गए होंगे. अभी से ही इस घोटाले के लक्षण सम्बंधित लोगों को साफ साफ दिखने लग गए हैं.‘’
ध्यान भटकाने के लिए चोंचले तलाशते हैं
तेजस्वी ने आरोप लगाते हुए आगे लिखा है कि ‘’मुख्यमंत्री शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, आधारभूत संरचना व मूलभूत सुविधाओं में बिहार को बीमारू राज्य की श्रेणी में बनाए रखना सुनिश्चित किए हुए हैं, पर ध्यान भटकाने के लिए नए नए चोंचले तलाशते रहते हैं. कभी समाज सुधारक बन जाते हैं, कभी भ्रष्टाचार उन्मूलक, कभी गांधीवादी तो कभी पर्यावरणविद. समाज सुधारक ऐसा बने कि शराबबंदी के नाम पर नकली शराब, अवैध शराब व ड्रग्स का समानांतर अवैध अर्थव्यवस्था खड़ा कर दिया. उसपर शराबबंदी के नाम पर फल फूल रहा पुलिस-माफ़िया और प्रशासन के नेक्सस से गरीब बिहारियों का चौतरफ़ा शोषण. दहेजप्रथा व बाल विवाह की रोकथाम पर ढोंग किया जिससे एक तिनका भी नहीं बदला. इसके उलट अगर वर्तमान कानून को भली भांति उतारा जाता तो कुछ बदलाव आता. नीतीश भ्रष्टाचार उन्मूलक ऐसा बने कि उनकी सरकार व प्रशासन के नेक्सस ने 40 से अधिक हज़ारों करोड़ के विकराल घोटाले कर दिए! गांधीवादी ऐसे हैं कि गांधी के हत्यारों के साथ मिलकर सरकार बनाए हुए हैं. फलस्वरूप बिहार में आज दंगे व मॉब लिंचिंग आम हो गए हैं. और पर्यावरण संरक्षक ऐसा बने हैं कि प्लास्टिक-गुटखा बैन करवाक़र स्वयं एक हफ्ते में ही भूल गए और अब जल जीवन हरियाली के नाम पर एक निर्धन राज्य के धन में व्यापक पैमाने पर चुनावी लाभ के लिए सेंधमारी की योजना है.
बिहार के कई स्कूलों को सुधारा जा सकता है
तेजस्वी ने कहा कि ‘’साढ़े 24 हज़ार करोड़ रुपये से बिहार जैसे राज्य में कई स्कूलों की बदतर स्थिति में सुधार किया जा सकता है. लाखों युवाओं को रोज़गार दिया जा सकता था. राज्य के सभी अस्पतालों में मिल रही सुविधाओं को सुचारू व पर्याप्त बनाया जा सकता है. कई विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा सकती है. हर साल बाढ़ और बाढ़ राहत घोटाला झेलने वाले राज्य बिहार में बाढ़ रोकने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं या अगले कई वर्षों साल तक बाढ़-सुखाड़ पीड़ितों को राहत पहुंचाया जा सकता है. पलायन पीड़ा झेलने वाले बिहार में रोजगार सृजन के उपाय किए जा सकते थे, निजी पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी आधारभूत संरचना खड़ा किया जा सकता था. पर मुख्यमंत्री जी को जन सरोकार की ज़रूरतों से क्या मतलब! उन्हें बस अपनी कुर्सी, अपनी राजनीति और चुनावों की चिंता है.जब लोगों का जीवन ही ख़ुशहाल नहीं रहेगा तो कैसी हरियाली? मैं चुनौती देता हूं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को कि तथाकथित जल जीवन हरियाली योजना में हो रहे भ्रष्टाचार पर मुझसे बहस कर मुझे गलत साबित कर दिखाएं.''