PATNA : लोकसभा चुनाव में मात खाने के बाद शरद यादव लगातार हाशिए पर चल रहे थे, लेकिन अब एक बार फिर से बिहार की सियासत में उनकी चर्चा है। शरद यादव ने महागठबंधन में शामिल तीन दलों के नेताओं के साथ बैठक कर क्लियर मैसेज दे दिया है कि अभी उनकी राजनीति खत्म नहीं हुई है। लोकसभा चुनाव में शरद यादव ने लालू के कहने पर उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा था। लालू ने यह भरोसा दिया था कि चुनाव के बाद शरद की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का आरजेडी में औपचारिक तौर पर विलय कर लिया जाएगा. लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद पूरी की पूरी प्लानिंग धरी रह गई। शरद यादव को लालू यादव ने ना तो तवज्जो दी और ना ही लोकतांत्रिक जनता दल का विलय ही आरजेडी में हो पाया।
लोकसभा चुनाव के बाद बदली हुई परिस्थितियों में शरद यादव राजनीति में हाशिए पर चले गए लेकिन अब एक बार फिर उन्होंने बिहार चुनाव के पहले एक गोलबंदी तेज कर दी है। शरद की गोलबंदी में जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी शामिल हैं। इन तीनों नेताओं के साथ बैठक कर शरद यादव ने आरजेडी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर सड़क के साथ बैठक करने वाले अन्य दलों के नेता सवाल उठा रहे हैं। शरद यादव अब वापसी के मूड में है और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव इस बात को समझने में भूल कर बैठे कि कभी समाजवादी विचारधारा की लड़ाई में शरद उनके गुरु रहे हैं। शरद यादव ने भले ही जबलपुर से राजनीति शुरू की हो लेकिन बिहार के दो राजनीतिक दिग्गजों लालू यादव और नीतीश कुमार ने उनकी अगुवाई में सियासत की है।
शरद यादव के नेतृत्व को अब आरजेडी के सहयोगी विधानसभा चुनाव में आगे रखने की बात कर रहे हैं. हालांकि शरद खुद जानते हैं कि आज उम्र के इस पड़ाव पर वह खड़े हैं, वहां उनके लिए बिहार में नेतृत्व करना आसान नहीं होगा। बावजूद इसके वह इस गोलबंदी में शामिल हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि शरद यादव इस साल बिहार से राज्यसभा जाना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव में तेजस्वी के नेतृत्व की राह में रोड़े खड़े करने के बाद शायद शरद यादव को राज्यसभा जाने का मौका शायद मिल जाए। शरद यादव के साथ कुशवाहा, मांझी और सहनी की गोलबंदी विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे के नजरिए से अहम है। इन तीनों दलों के नेता जानते हैं कि विधानसभा चुनाव में आरजेडी और कांग्रेस सीट बंटवारे के दौरान उन्हें पानी पिला सकते हैं, लिहाजा अभी से आरजेडी पर दबाव बनाने की तैयारी शुरू है। बैठकों के जरिए शरद अपनी सियासी चाल को मजबूत कर रहे हैं तो आरजेडी के दूसरे सहयोगी दल सीट बंटवारे के लिए सियासी बिसात बिछा रहे।