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1st Bihar Published by: Updated Thu, 27 May 2021 09:15:06 PM IST
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HAJIPUR : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले एक गांव में कोरोना ने कहर बरपा रखा है. पिछले एक महीने में इस गांव के 17 लोगों की मौत हो गयी है. सरकार ना तो गांव में लोगों की जांच करा रही है और ना ही इलाज की कोई व्यवस्था है. लिहाजा लोग गांव से पलायन करने लगे हैं. गांव के मुखिया मुजाहिद अनवर बता रहे हैं कि उन्होंने तेजस्वी यादव को फोन कर मदद की गुहार लगायी लेकिन कोई देखने तक नहीं आय़ा. मुखिया कह रहे हैं कि अगर तेजस्वी यादव चाहते तो उनका गांव कब्रिस्तान में तब्दील होने से बच जाता.
मंसूरपुर गांव में कोरोना का कहर
वैशाली जिले का मंसूरपुर गांव तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है. इस गांव में एक महीने में 17 लोगों की मौत होने के बाद त्राहिमाम की स्थिति है. बाहरी लोगों ने गांव में आना जाना छोड़ दिया है. गांव के लोग खुद ही भाग रहे हैं ताकि जान बच जाये. गांव के लोग बता रहे हैं कि मरने वाले लोगों में ज्यादातर जवान लोग हैं. हालांकि कोरोना के मामले अब कम हो रहे हैं लेकिन ये पूरा गांव अभी भी दहशत के साये में जी रहा है. गांव के लोग अपने विधायक तेजस्वी यादव से काफी खफा दिख रहे हैं.
तेजस्वी ने कोई मदद नहीं की
ये गांव चकसिकंदर पंचायत में आता है. चक सिकंदर पंचायत के मुखिया मुजाहिद अनवर बताते हैं कि 12 अप्रैल से 12 मई के बीच गांव में 17 लोगों की मौत हुई. जब लोगों की मौत हो रही थी तो उन्होंने जिले के सभी अधिकारियों को फोन कर मदद की गुहार लगायी. अधिकारियों ने जब उनकी गुहार पर कोई ध्यान नहीं दिया तो मुखिया ने स्थानीय विधायक औऱ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को फोन कर मदद मांगी. मुखिया मुजाहिद अनवर कहते हैं कि उन्हें अफसोस है कि तेजस्वी यादव ने भी कोई मदद नही की. तेजस्वी अगर चाहते तो गांव के लोगों की जांच हो जाती. गांव में सेनेटाइजेशन हो जाता. इससे कई लोगों की जान बच सकती थी.
गांव छोड़ भाग रहे हैं लोग
मंसूरपुर गांव के कई घरों पर ताला लटक गया है. दहशत में पड़े लोग गांव छोड़ कर भाग खड़े हुए हैं. गांव के रहने वाले मो. मंजूर अपने परिवार समेत गांव छोड़ कर चले गये हैं. उनकी पत्नी जूही औऱ सास की मौत कोरोना से हो गयी थी. दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी. उनके घऱ में जब दो लोगों की मौत हुई तो गांव के ही दूसरे लोगों ने उनके परिवार से दूरी बना ली थी. मजबूर होकर मो. मंजूर पूरे परिवार के साथ गांव छोड़ कर चले गये हैं.
मुखिया मुजाहिद अनवर बताते हैं कि उनके घऱ के ठीक बगल में रहने वाले 32 साल के साजिद की मौत सांस में परेशानी होने के बाद हो गयी. साजिद की शादी पांच महीने पहले ही हुई. साजिद के घर वाले बताते हैं कि उनका टेस्ट नहीं कराया गया था लेकिन खांसी-सर्दी से लेकर बुखार जैसे सारे लक्षण कोरोना के ही थे. मंसूरपुर गांव के अताउल्लाह की मौत भी कोरोना जैसी बीमारी से हुई.
मंसूरपुर गांव के कुद्दुश की पत्नी गुलनाज बेगम की मौत भी कोरोना से हो गयी. कुद्दुश गुजरात की फैक्ट्री में काम करते हैं. वे गुजरात में ही थे जब पता चला की पत्नी की तबीयत खराब है. वे भागे भागे अपने गांव पहुंचे, पत्नी का इलाज कराने की कोशिश की. लेकिन उन्हें बचा नहीं सके. कुद्दुश कह रहे हैं उनकी पांच बेटी औऱ एक बेटा है. उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा.
गांव को अछूत बना दिया गया
मंसुरपूर गांव के रफाकत हुसैने के भाई की मौत कोरोना से हो गयी. रफाकत बताते हैं कि उन लोगों को इलाके में अछूत बना दिया गया है. कोरोना से हुई मौत की वजह से उनके गांव में बाहरी कोई आदमी नहीं आता. मंसुरूपूर के किसी आदमी को दूसरे गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है. कोई उनसे बात करने को तैयार नहीं है. बाजार में जाने पर दुकानदार सामान देना तो दूर शक्ल देखने से भी परहेज करते हैं.
तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र के इस गांव में 17 मौत के बावजूद प्रशासन ने यहां न तो टेस्ट का इंतजाम किया है औऱ ना ही इलाज का. गांव में अब तक सेनेटाइजेशन भी नहीं कराया गया है. हालांकि लोगों ने अब वैक्सीन लेने की कोशिशें शुरू की है. गांव के कुछ लोगों ने वैक्सीन ले लिया है.