PATNA : आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव ने रविवार को एक बार फिर पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को जलील किया. ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि तेज प्रताप ने जगदानंद सिंह को खरी-खोटी सुनाई हो. पार्टी के 25 स्थापना दिवस समारोह के मंच पर तेजस्वी यादव के सामने तेज प्रताप में जगदा बाबू को जमकर सुनाया था, जिसके बाद जगदानंद सिंह के इस्तीफे की भी चर्चा हुई. हालांकि उन्होंने खुद इन खबरों को खारिज किया था. लेकिन तब पार्टी के अंदर से यह जानकारी सामने आई कि जगदा बाबू को तेजस्वी यादव ने मना लिया.
आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के इस्तीफे से जुड़ा मामला लालू यादव के दरबार तक पहुंचा था और दिल्ली में जगदानंद सिंह ने लालू यादव से मुलाकात तक की थी. चर्चा रही कि तेज प्रताप को इस तरह की टिप्पणी करने के लिए फटकार भी लगी. लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा. एक बार फिर तेज प्रताप यादव ने पहले से ज्यादा आक्रामक तरीके से जद्दा बाबू को जलील कर दिया.
रविवार को छात्र आरजेडी की बैठक के दौरान प्रदेश कार्यालय में बोलते हुए तेज प्रताप यादव ने जगदा बाबू को जिस तरह हिटलर बताया. यहां तक कहा कि कुर्सी किसी की बपौती नहीं है. उसके बाद बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि क्या इतनी फजीहत झेलने के बावजूद जगदा बाबू अपनी कुर्सी पर बने रहेंगे. उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या तेज प्रताप यादव जो कुछ कह कर रहे हैं, वह लालू प्रसाद यादव की सहमति के बगैर संभव है. अगर वाकई तेज प्रताप यादव अपने पिता लालू यादव की बात नहीं मान रहे तो क्या यह समझा जाए कि तेज प्रताप यादव पर लालू यादव का कंट्रोल नहीं रहा.
अगर ऐसी बात है तो इस बात की संभावना से इनकार कैसे किया जा सकता है कि आरजेडी में अब पार्टी से लेकर परिवार तक के अंदर एक अलग खेमा तेजप्रताप खड़ा कर रहे हैं. जगदानंद सिंह लालू यादव के बेहद करीबी हैं. लालू यादव के साथ उन्होंने राजनीतिक सफर तय किया है. इसके बावजूद उन्हें खरी-खोटी सुना रहे हैं, उससे कई सवाल खड़े हो गए हैं.
अगर यह मान भी लिया जाए कि तेज प्रताप यादव के बयान को जगदानंद सिंह अहमियत नहीं देते. तब भी पार्टी में प्रोटोकॉल और अन्य मानदंडों के हिसाब से प्रदेश अध्यक्ष को खुले तौर पर खरी खोटी सुनाने वाले तेज प्रताप के ऊपर क्या कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. अगर तेज प्रताप यादव के ऊपर कोई एक्शन नहीं हो रहा है. तो यह मानने में क्या हर्ज है कि लालू यादव अपने बेटे के ऊपर कोई एक्शन नहीं होने देना चाहते. जो भी हो तेजस्वी यादव को तेज प्रताप यादव अपने क्रियाकलाप से कमजोर कर रहे हैं.
रविवार को छुट्टी का दिन था. जगदानंद सिंह रविवार को प्रदेश कार्यालय में नहीं आते. लेकिन आज सोमवार है. ऐसे में सबको इंतजार है कि जगदा बाबू प्रदेश कार्यालय कब पहुंचेंगे. प्रदेश कार्यालय पहुंचने पर तेज प्रताप के बयान को लेकर उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है. क्या हर बार की तरह जगदानंद सिंह जलील होकर भी चुप रह जाएंगे या फिर अब उनके सब्र का बांध टूट जाएगा.
क्या प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते जगदानंद सिंह अपने ही सुप्रीमो के बेटे पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का साहस दिखा पाएंगे. या फिर एक रबर स्टैंप प्रदेश अध्यक्ष की तरह लालू परिवार के हर सदस्य के सामने उसी तरीके से झुके रहेंगे जैसे पहले अध्यक्ष करते रहे हैं.