NEW DELHI: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि अन्न ही औषधि है। गांधी दर्शन में आयोजित तीन दिवसीय मिलेट्स महोत्सव के उद्घाटन के बाद उपस्थित जनसमूह को उन्होंने संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि साल 2023 को संयुक्त राष्ट्र ने मिलेट्स वर्ष घोषित किया है। G- 20 सम्मलेन के दौरान प्रधानमंत्री ने भी रात्रि भोज में मिलेट्स से बने भोजन का ही प्रावधान रखा था।
इस गांधी मेगा मिलेट्स फेस्टिवल का आयोजन ट्रस्ट, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र और गांधी दर्शन के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है। तीन दिवसीय इस आयोजन का थीम “पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ जीवन के लिए मिलेट्स के उपयोग” विषय पर आधारित है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में समारोह के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा कि आज 130 देशों में मिलेट्स पर आयोजन हो रहा है। गीता में भी इसके बारे में लिखा गया है। उत्तरप्रदेश सरकार ने 50 हज़ार किसानों को मोटे अनाज के नि:शुल्क बीज का वितरण किया है। मिलेट्स में इतनी ताकत है कि इसके सेवन से 100 वर्षों तक जीने की कल्पना की गई है।
इस आयोजन के स्वागत सत्र के दौरान राज्यसभा के पूर्व सांसद व अवसर ट्रस्ट के अध्यक्ष आर. के. सिन्हा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि अगर आहार सही नहीं है तो दुनिया का कोई डॉक्टर आपको ठीक नहीं कर सकता। पहला सुख निरोगी काया है। मैं खुद दूषित भोजन के कारण बहुत बीमार रहा हूँ। लेकिन मिलेट्स से बने खाद्य पदार्थ खाने के बाद मेरे स्वास्थ्य में बहुत आश्चर्यजनक परिवर्तन आये हैं और मेरी सेहत बहुत अच्छी हो गई है।
मिलेट्स मैन डॉ. खादर वली ने अपने संबोधन में उपस्थित लोगों को बताया कि अगर आप चावल और गेहूं खाते हैं तो आप हिंसक हैं। एक किलो चावल के लिए 8000 लीटर पानी की जरूरत होती है। जबकि एक किलो मोटे अनाज के लिए अधिकतम केवल 800 लीटर पानी की जरूरत होती है। हम प्रकृति के विरुद्ध चल रहे हैं। खाने का व्यवसायीकरण हो चुका है।
गांधी दर्शन के उपाध्यक्ष विजय गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि मिलेट कोई नहीं चीज नहीं है। हम वर्षों से इसका उपयोग कर रहे हैं। मोटे अनाज का उपयोग आपकी आयु को बढ़ाता है। मिलेट्स से बना अच्छा भोजन बहुत मुश्किल से मिलता है। मैं गांधी दर्शन में भी मिलेट्स भोजनालय के लिए सिन्हा जी को स्थान उपलब्ध करवाने को तैयार हूं। आभार ज्ञापन कलाकोश डिवीजन के प्रमुख प्रो. डॉ. सुधीर लाल द्वारा दिया गया।
यहाँ देश भर से आये 35 मिलेट्स उत्पादकों द्वारा स्टाल भी लगाये गये हैं। इसके अलावा यहाँ रोजाना शाम को 6 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जा रहा है। आज पहले दिन के सत्र में इंडस्ट्रीयल फूड, दूसरे सत्र में ग्लूकोज असंतुलन, तीसरे सत्र में बाजरा क्यों धान और गेहूं क्यों नहीं, चौथे सत्र में बाजरे के साथ खाना बनाते समय जानने योग्य बातों पर चर्चा की गई।
दूसरे दिन 6 नवंबर को पांचवें सत्र में स्वास्थ्य के लिए लाभकारी पारंपरिक प्रथाओं का पुनरुद्धार, छठवें सत्र में रिफाइन ऑयल कैंसर का कारक, सातवें सत्र में अंबाली (माइक्रोबियल संतुलन), आठवें सत्र में दूध (हार्मोनल बैलेंस), नौवें सत्र में मिलेट्स के साथ स्वादिष्ट भोजन बनाना, दसवें सत्र में संरचित जल, गुड़, मिठाई, अंतिम दिन 7 नवंबर को ग्यारहवें सत्र में बाजरा क्या हैं,
बारहवें सत्र में पर्यावरणीय पहलू: मिट्टी, नदी और वायु संरक्षण, तेरहवें सत्र में जैव विविधता और ग्लोबल वार्मिंग, चौदहवें सत्र में खाद्य संप्रभुता और पंद्रहवे सत्र में बाजरा के माध्यम से ग्राम स्वराज आदि विषयों पर चर्चा की जाएगी। अंतिम दिन समापन सत्र के दौरान हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिवप्रसाद शुक्ल और भारत सरकार के पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला द्वारा संबोधन और प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा।