DESK : जब से कोरोना का संक्रमण फैला तभी से लोगों का कहना था की भारत में ये बीमारी अपना पैर नहीं पसार पाएगी. यहां का मौसम इस संक्रमण को फैलने नहीं देगा. अब ये सारी बातें गलत साबित हो रही हैं. हम मई के दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर चुके हैं, और यदि हम कोरोना संक्रमण के आकडों पर गौर करें तो पाएंगे की इस महीन की शुरुआत से ही कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. कुछ दिनों पहले एम्स के डाइरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी कह दिया है कि जून जुलाई में कोरोना संक्रमित मरीजों का आकड़ा अपने चरम पर होगा. उनके इस बयान ने देशवासियों की चिंता और बढ़ा दी है.
इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए देश-विदेश में कई शोध हो रहे हैं जिसमे नई-नई जानकारियां सामने निकल के आ रही है. अब एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि गर्मी और उमस कोरोना वायरस यानि कोविड-19 का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे. चाहे कितनी भी गर्मी क्यों न पड़े गर्म मौसम इस बीमारी का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.
इस स्टडी में 144 देशों पर अध्यन किया गया था. इस रिसर्च को करने में मुख्य रूप से अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के वैज्ञानिक शामिल थे. यह स्टडी कनैडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित हुई है. इस स्टडी को करने में इटली, ईरान, साउथ कोरिया और चीन के संक्रमितों के आकडे को शामिल नहीं किया गया था क्योंकि यहां पर या तो केस बहुत ज्यादा हैं या फिर बहुत कम. प्रमुख रिसर्चर पीटर जूनी ने बताया कि उनकी स्टडी में कोरोना वायरस को रोकने के लिए दुनियाभर में किए जा रहे प्रयासों को भी शामिल किया गया है. ताकि यह पता किया जा सके कि बीमारी के फैलने और रोकथाम की दर कितनी है. पीटर जूनी के अनुसार उनलोगों ने 7 मार्च से 13 मार्च तक पूरी दुनिया में ऊंचाई, तापमान, उमस, बंद स्कूल, प्रतिबंधों, सामूहिक आयोजनों को संक्रमण से जोड़कर विश्लेषण किया तो पता चला कि गर्मी और उमस का इस वायरस की रोकथाम से कोई संबंध नहीं है.
लेकिन, इस स्टडी ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि स्कूल बंद करना, सामूहिक आयोजनों पर प्रतिबंध और सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करना इस बीमारी का सही इलाज है. इनकी वजह से कोरोना वायरस का संक्रमण काफी रुका है. इस अध्ययन को करने वाले दूसरे रिसर्चर प्रोफेसर डियोनी जेसिंक ने कहा कि गर्मी के मौसम से कोरोना डरने वाला नहीं है.