1st Bihar Published by: Updated Sun, 06 Sep 2020 02:14:44 PM IST
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PATNA: बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने आज बीजेपी कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य विभाग की उपलब्धियां गिनायी। मंगल पांडेय विपक्ष विपक्ष पर भी बरसे और झूठे आंकड़े पेश करने आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने बताया है कि चुनाव समय पर होने वाले हैं। जब चुनाव नजदीक आया है तो बिहार में जो विपक्ष की राजनीति करने वाले लोग हैं चाहे वो आरजेडी हो, कांग्रेस हो या उनके दूसरे सहयोगी हों इन लोगों ने राज्य की जनता के सामने झूठे आंकड़े पेश करने का ठेका ले लिया है। विपक्ष के लोग झूठ की खेती कर रहे हैं लेकिन बिहार की जनता सच जानती भी है और पहचानती भी है और उसी आधार पर अपना आर्शिवाद देती है।
मंगल पांडेय ने कहा कि 2005 के पहले के शासनकाल उसके बाद के शासनकाल में स्वास्थ्य सुविधाओं का फर्क साफ है। 2005 के पहले बिहार में एक पीएचसी में एक महीने में 39 मरीज आते थे अब एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक महीने 1 हजार मरीज आते हैं। उन्होंने कहा कि 2005 तक बिहार के सरकारी अस्पतालों में गरीबों को मुफ्त दवा नहीं दी जाती थी लेकिन 2005 के बाद अस्पतालों मंे इडीएल की सूची बनायी गयी और गरीबों को मुफ्त दवाई देने की व्यवस्था की गयी। आज बिहार में लगभग 300 दवाएं विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दी जाती है। ढाई सौ करोड़ से अधिक रूपये प्रतिवर्ष दवाओं पर राज्य सरकार खर्च कर रही है। 2005 तक केवल 8 मेडिकल काॅलेज थे आज 12 सरकारी मेडिकल काॅलेज अस्पताल हैं, 5 प्राईवेट मेडिकल काॅलेज अस्पताल है। अगले 4 साल में बिहार में 28 मेडिकल काॅलेज हो जाएंगे। 2005 के पहले बिहार में तकरीबन साढ़े तीन सौ एंबुलेस हुआ करता था आज 1100 एंबुलेस बिहार की जनता की सेवा में है।
2005 के पहले के शासनकाल में चिकित्सकों और पारा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ती हो जाए यह सपना था। एनडीए सरकार के पिछले तीन वर्ष में 21 हजार 530 चिकित्सकों और पारा मेडिकल स्टाॅफ की नियुक्ति हुई है। 12 हजार 621 और डाॅक्टरों और पारा मेडिकल स्टाॅफ की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। पहले की सरकारों का ध्यान जिला अस्पतालों पर नहीं होता था। स्वाथ्यमंत्री ने कहा कि पहले आईजीआईएमएस जाने में डर लगता था लेकिन आज लोग आईजीआईएमस जाने को तैयार रहते हैं। उसी आईजीआईएमएस में अंग प्रत्यारोपण भी होता है। यह फर्क बिहार की जनता महसूस कर रही है। पैसे के अभाव में पहले बिहार की गरीब जनता गंभीर बीमारियों का इलाज नहीं करवा पाती थी। आज मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता योजना के तहत गरीबों के इलाज के लिए डेढ़ सौ करोड़ रूपये दिये जाते हैं।