PATNA: डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के एक साल पूरा होने पर अधिवेशन भवन में आयोजित समारोह के उद्घाटन भाषण में कहा कि बिहार में मेडिकल शिक्षा के लिए एक अलग ‘स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय’ स्थापित करने पर सरकार विचार कर रही है. जन आरोग्य योजना के बारे में मोदी ने कहा कि इस योजना से बिहार में जहां 93,448 लोग वहीं, पूरे देश में 44.55 लाख लाभान्वित हुए हैं जिन पर बिहार में 92 करोड़ और पूरे देश में 7.5 हजार करोड़ खर्च हुआ है. पूरे देश में 16027 तथा बिहार में 712 अस्पताल इस योजना के तहत निबंधित हैं. देश में 10.35 करोड़ और बिहार में 27.87 लाख गोल्डन कार्ड वितरित किए गए हैं.
मोदी ने कहा कि 2018-19 की तुलना में बिहार का स्वास्थ्य बजट 23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2019-20 में 9,622 करोड़ का है. राज्य में 11 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है. मधेपुरा में मेडिकल कॉलेज भवन नवंबर तक बन कर तैयार हो जायेगा. पूर्णिया में 365 करोड़ की लागत से और छपरा में 425 करोड़ की लागत से अस्पताल का भवन बन रहा है. वैशाली, बेगूसराय, सीतामढ़ी, मधुबनी, जमुई और बक्सर में मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए टेंडर हो गया है. भारत सरकार ने भी देश में 75 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की स्वीकृति दी है जिसका लाभ बिहार को मिलेगा.
मोदी कहा कि आजादी के बाद बिहार में सरकारी क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज खोलने पर ध्यान नहीं दिया गया. कर्नाटक में 57, तमिलनाडु में 49, उत्तर प्रदेश में 48 और केरल में 34 मेडिकल कॉलेज हैं. बिहार में 3,207 की आबादी पर एक डॉक्टर जबकि तमिलनाडु में 4 और केरल में डॉक्टर हैं जबकि डब्ल्यूएचओ के अनुसार प्रति हजार आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए.
मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश में जनसंख्या विस्फोट पर चिंता व्यक्त की है. बिहार में प्रति दशक जनसंख्या वृद्धि की दर 25 प्रतिशत है. स्वास्थ्य सेवा में सुधार तथा लड़कियों में शिक्षा के प्रसार के कारण प्रजनन दर 4 से घट कर औसत 3.2 हो गयी है जबकि देश के 7 राज्यों में यह औसत 1.7 से कम है. मेडिकल शिक्षा में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने एमसीआई को भंग कर नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के गठन के निर्णय लिया है. नीट के माध्यम से देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में नामांकन हो रहा है और अब एमबीबीएस फाइनल की परीक्षा पूरे देश में नेशनल एक्जिट टेस्ट के माध्यम से होगी.