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1st Bihar Published by: Updated Mon, 28 Dec 2020 06:31:03 PM IST
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PATNA: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी क्या बीजेपी के मौजूदा नेतृत्व को अक्षम मान रहे हैं. पटना में आज सुशील मोदी ने कहा कि अगर अरूण जेटली जिंदा होते तो किसान आंदोलन का मामला कब का सुलझ गया होता. सुशील मोदी के इस बयान के गहरे अर्थ निकाले जा रहे हैं.
सुमो ने क्या कह डाला
दरअसल सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली की जयंती थी. कंकड़बाग कालोनी पार्क में सुशील मोदी ने जेटली को श्रद्धांजलि दी. उसके बाद स्व. जेटली के गुणों का बखान किया. उन्होंने कहा “मुझे पूरा यकीन है कि अगर आज अरुण जेटली जीवित होते तो किसान जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिसको लेकर यह आंदोलन चल रहा है.......वह इसका निश्चित रूप से कोई समाधान निकाल लेते.”
सुशील मोदी अनुभवी राजनेता हैं. उन्हें पता है कि किसान आंदोलन को सुलझाने के लिए खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगे हैं. उनके नेतृत्व में पीयूष गोयल से लेकर दूसरे मंत्रियों की टीम काम कर रही है. फिर भी मामला सुलझ नहीं रहा है. अब सुशील मोदी कह रहे हैं कि अगर जेटली जिंदा होते तो मामला सुलझा लिया जाता. जाहिर है मोदी बीजेपी के मौजूदा नेतृत्व और केंद्र सरकार के मंत्रियों को कमतर साबित कर गये.
नीतीश की बात पर मुहर लगा दी
सुशील मोदी यहीं तक नहीं रूके. उन्होंने बीजेपी की फजीहत कराने वाला एक और बयान दिया. दरअसल नीतीश कुमार इन दिनों बार बार कह रहे हैं कि वे सीएम नहीं बनना चाहते थे लेकिन बीजेपी ने उन्हें जबरन सीएम बनाया. नीतीश के इस बयान पर बीजेपी के किसी नेता ने अब तक कोई टिप्पणी नहीं है. दिल्ली से लेकर पटना में बैठे बीजेपी के नेता नीतीश के इस दावे का समर्थन करने से अब तक बचते रहे हैं. लेकिन सुशील मोदी ने आज नीतीश के दावे की पुष्टि कर दी.
सुशील मोदी बोले-हां, नीतीश कुमार सीएम नहीं बनना चाहते थे. लेकिन हम बिहार का चुनाव उनके चेहरे पर ही लड़े थे. हमलोगों ने उनसे मुख्यमंत्री बनने का आग्रह किया था. बीजेपी ने ही नहीं बल्कि हम और वीआईपी पार्टी के साथ साथ जेडीयू के नेताओं ने भी नीतीश कुमार से मुख्यमंत्री बनने का आग्रह किया था. इसके बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने को तैयार हुए.
क्या अब भी बगावत के मूड में हैं सुशील मोदी
जगजाहिर है कि सुशील मोदी बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी के रवैये से नाराज हैं. उन्हें न सिर्फ डिप्टी सीएम पद से हटाया गया बल्कि पार्टी के किसी फैसले में शामिल नहीं किया जा रहा है. चुनाव के बाद पार्टी की किसी अहम बैठक में सुशील मोदी को बुलाया नहीं जा रहा है. बीच में राज्यसभा चुनाव हुआ तो उन्हें सांसद बना दिया गया, लेकिन केंद्र में भी कोई भूमिका नहीं दी गयी है. चर्चा ये हो रही है कि अपनी उपेक्षा से नाराज सुशील मोदी बगावती तेवर दिखा रहे हैं. डिप्टी सीएम पद से हटने के बाद भी उन्होंने कहा था कि कार्यकर्ता के पद से उन्हें कोई नहीं हटा सकता. सुशील मोदी के वे तेवर ढीले नहीं हुए हैं.