प्रसिद्ध सोनपुर मेले के आयोजन पर संशय बरकार, लोग तैयार लेकिन प्रशासन बना मौन

प्रसिद्ध सोनपुर मेले के आयोजन पर संशय बरकार, लोग तैयार लेकिन प्रशासन बना मौन

SARAN : प्रसिद्ध सोनपुर मेले का आयोजन इस साल होगा या नहीं इसे लेकर संशय बरकार है। कोरोना महामारी के कारण बीते साल मेले का आयोजन नहीं हो सका था। वहीं इस साल लगातार दूसरी बार इस एशिया फेम हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला के लगने पर संशय बरकरार है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले मेला में अब मुश्किल से दस दिन शेष बचे है लेकिन प्रशासनिक स्तर पर न कोई तैयारी न ही सरकारी स्तर पर इस मेले के आयोजन की घोषणा नहीं हुई है। वहीं इस वर्ष मेले के आयोजन को लेकर स्थानीय लोग आक्रोशित है और इस साल हर हाल में मेले की आयोजन का संकल्प ले चुके है। स्थानीय लोग सरकारी स्तर पर मेले के आयोजन की मांग के लिए संघर्ष के साथ-साथ अपने स्तर से निजी जमीन में मेला लगाए जाने की घोषणा कर चुके हैं। इसे लेकर विभिन्न दुकानदारों को आमंत्रित भी किया जा रहा है। 


आपको बता दें बताते की सोनपुर क्षेत्र के लकड़ी बाजार हो या लोहा बाजार या कश्मीरी मार्केट हो या बुलेन मार्केट या घोड़ा, गाय व बकरी, बैल आदि बाजार ये निजी जमीन में ही लगती है। सरकारी, जमीन जिसे नखास के नाम से जानते हैं और मेला का हार्ट एरिया बोला जाता है वहां सरकारी व निजी कंपनियों का स्टॉल व थियेटर आदि लगते है। बताते चलें कि हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला की आयोजन की मांग को लेकर ग्रामीण यहां दो-दो बार महाधरना दे चुके है। वहीं सरकार के विभिन्न मंत्रियों व मुख्यमंत्री से लगातार गुहार लगा रहे है। स्थानीय सांसद राजीव प्रताप रूडी भी मेले की आयोजन न होने पर सवाल उठा चुके है। वहीं मेला के लिए सोनपुर क्षेत्र के लोग करो या मरो के लिए तैयार है। अनुमति न मिलने की स्थिति में व्यापक जन आंदोलन की जमीन भी तैयार हो रही है।


स्थानीय लोग डिप्टी सीएम, पर्यटन मंत्री, जिला प्रभारी मंत्री समेत कई लोगों से मिलकर इस सम्बन्ध में गुहार लगा चुके हैं। जिसके बाद अब लोग आंदोलन के साथ-साथ मेला को अपने स्तर से लगाये जाने को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन इस मेले के आयोजन के प्रति उदासीन है। एडीएम डॉ. गगन ने बताया कार्तिक पूर्णिमा स्नान व मंदिर में जलाभिषेक को आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधाओं के इंतजाम प्रशासन करेंगी। लेकिन मेला की दृष्टिकोण से जो तैयारी होती है वह दस दिन में संभव नहीं है। लेकिन फिर मैले को लेकर अभी संशय की स्थिति बनी हुई है। फिर भी अब सरकार जो भी निर्णय करेगी प्रशासन पूरी मुस्तैदी से उसका अनुपालन करेगी।