PATNA: 500 वर्षों की तपस्या आखिरकार आज पूरी हो गयी। आज भगवान श्रीराम अयोध्या के भव्य मंदिर में विराजमान हो गए। आज पूरे विधि विधान के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गयी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की। इस भव्य समारोह का साक्षी पूरा देश बना। वही रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने पीएम मोदी पर तंज कसा है।
फेसबुक पर शिवानंद तिवारी ने लिखा है कि अयोध्या में मोदी जी ने कहा है कि राम की मूर्ति की उनके द्वारा आज की गई प्राण प्रतिष्ठा की चर्चा हज़ारों साल बाद भी होगी। अर्थात् राम की तरह ही मोदी जी भी हज़ारों साल तक लोगों की स्मृति में ज़िंदा रहना चाहते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अमर होना चाहते हैं। इस पर हंसने के अलावा क्या किया जा सकता है! प्रधानमंत्री जी ने तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार रामजी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की औपचारिकता को संपन्न किया। उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और वहां की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल स्वाभाविक रूप से मौजूद थीं। लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत जी वहां किस हैसियत से मौजूद थे। यह समझ में नहीं आया।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 12 जनवरी को भी शिवानंद तिवारी ने फेसबुक पर लिखा था कि राम के नाम पर अयोध्या जो कुछ हो रहा है वहाँ राम कम मोदी जी ज़्यादा दिखाई दे रहे ! हिंदुत्व और राम मंदिर पिछड़ों,दलितों और वंचित समूहों द्वारा सामाजिक न्याय के आंदोलन से प्राप्त उपलब्धियों को मिटाने की साज़िश है. दुर्भाग्य है कि हिंदुत्ववादियों के इस एजेंडे को पिछड़ी जाति में जन्मे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी लागू कर रहे हैं. मोदी जी का वैचारिक लालन पालन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में हुआ है. संघ देश के संविधान और लोकतंत्र में यक़ीन नहीं करता है. इसका प्रमाण अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में ही हम देख रहे हैं. अर्धनिर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के आगामी उत्सव में मोदी सरकार बग़ैर किसी संकोच के सरकारी साधनों को झोंक कर संविधान की धज्जी उड़ा रही है. इनको धर्म या धार्मिकता से कोई मतलब नहीं है.
मर्यादा पुरूषोतम राम के नाम पर समाज में नफ़रत फैलाने, हिंसक वातावरण बनाने की दिशा में जनता को ले जाना धर्म का काम नहीं, झूठ और फ़रेब है ! अयोध्या या राम मंदिर इनका धार्मिक लक्ष्य नहीं है. बल्कि हर दृष्टि से असफल अपनी सरकार को राम और मंदिर के सहारे पुनः सत्ता प्राप्त करने का यह एक राजनीतिक अनुष्ठान है. आदि शंकराचार्य के द्वारा स्थापित चार पीठ हैं. आज भी आम हिंदू के लिए चारों धाम की यात्रा मुक्ति पाने के एक मार्ग के रूप में देखा जाता है. चारों धाम के शंकराचार्यों ने अपने को धर्म के नाम पर अयोध्या में चल रहे राजनीतिक अनुष्ठान से अलग रखा है. क्या उनको भी हिंदू विरोधी घोषित करने का साहस भाजपा दिखा सकती है ! हमारा संविधान धर्म निरपेक्ष है. धर्म व्यक्ति या समूह का निजी मामला है. किसी भी समूह या व्यक्ति को अपनी आस्था के मुताबिक़ बग़ैर अन्य समूहों की आस्था में ख़लल डाले अपने अपने धर्म के रीति रिवाजों के पालन का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है. उनके इन अधिकारों को सुनिश्चित करना सरकारों का संवैधानिक दायित्व है.
प्रधानमंत्री जातीय जनगणना और विकास की धारा में छूट गए समूहों को चिन्हित कर उनके विकास के लिए विशेष प्रयास को देश के लिए विभाजनकारी मानते हैं. वे भारतीय समाज का एक नया वर्गीकरण कर रहे हैं. उनका कहना है कि हमारा समाज चार ही श्रेणी में विभाजित है. युवा, महिला, किसान और गरीब. यह विभाजन जातियों में विभाजित हमारे हिंदू समाज के वंचित समूहों को मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष अवसर के सिद्धांत के अंतर्गत आरक्षण दिए जाने के संवैधानिक सिद्धांतों को ही नकारता है.दरअसल हमारे प्रधानमंत्री जी येन केन प्रकारेण हिंदुत्ववादियों के एजेंडा को पूरा करना चाहते हैं. जिन चार समूहों का नया सामाजिक वर्गीकरण प्रधानमंत्री जी पेश कर रहे हैं उन समूहों की मोदी राज में क्या हालत है. यहाँ हम सिर्फ़ एक महिला समूह की ही हालत का जायज़ा लें. किसी भी समाज में महिलाओं की स्थिति क्या है यही उस समाज की सभ्यता की कसौटी मानी जाती है.
इस कसौटी पर हमारे प्रधानमंत्री जी की दृष्टि और नीतियाँ बग़ैर किसी संदेह के रूग्ण कही जा सकती हैं. बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार के आचरण पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि गुजरात सरकार ने आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोल कर, तथ्यों को छुपाकर जेल से रिहा कर दिया. 2002 में गुजरात में जिस प्रकार हिंसा हुई. वह अभूतपूर्व है. बिलकिस के परिवार के बारह लोगों की उसकी आँखों के सामने हत्या कर दी गई. उसके साथ बलात्कार हुआ. यह सब बाहरी लोगों ने नहीं बल्कि आस पड़ोस के लोगों द्वारा हुआ. उस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुजरात के बाहर महाराष्ट्र में हुई. सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा हुई.
उन सबको सुप्रीम कोर्ट के सामने तथ्य छुपा कर और झूठ बोल कर गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया. जेल से बाहर आने वालों का माला पहनाकर स्वागत किया गया. मिठाईयां बाँटी गई. उनकी रिहाई पर भाजपा के एक विधायक ने कहा कि उनमें से कुछ ब्राह्मण हैं, अच्छे संस्कार वाले हैं. गुजरात के पिछले विधानसभा चुनाव में एक अभियुक्त की बेटी को भाजपा ने उसी क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था जिस क्षेत्र में बिलकिस वाली घटना हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने उन अभियुक्तों की रिहाई को रद्द करते हुए जो आदेश दिया है उसने मोदी जी की राजनीति को नंगा कर दिया है. महिला पहलवानों का मामला भी हमारी आँखों के सामने है.
आखिर सरकार किस के साथ खड़ी है! दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और महिलाओं को मिलने वाले आरक्षण को समाप्त करने की दिशा में मोदी जी की सरकार ने कदम बढ़ा दिया है. हिंदूत्ववादी ताक़तें मज़बूती के साथ मोदी जी के पीछे खड़ी हैं. राम और मंदिर के नाम पर अयोध्या में जो कुछ हो रहा है उसमें राम कम अपने मोदी जी ज़्यादा दिखाई दे रहे हैं.
वही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर राजद नेता व बिहार सरकार के वन एवं पार्यावरण मंत्री तेजप्रताप यादव ने भी लिखा है कि राम तो सबके मन में हैं। तेजप्रताप ने आगे लिखा कि अंधभक्त राम को लाने से पहले अपने अंदर के रावण को बाहर निकालें क्योंकि राम के लोग कभी भेदभाव नहीं करते। सबसे पहले महिलाओं के ख़िलाफ़ अत्याचार बंद होना चाहिए और ग़रीबी और भूख जैसे रावण को कैसे ख़त्म करे इस पर विचार होना चाहिए। राम को लाना है तो अपने बुरे विचारों को बाहर निकालिए और देश को प्रेम सद्भाव और खुशहाली के रास्ते पर लेकर चलिए।