मुर्गा बेचने वाले के बेटे ने बिहार का नाम किया रोशन, राजपथ पर ब्रह्मोस मिसाइल के दस्ते को लीड करेंगे कैप्टन मो. कमरूल जमां

मुर्गा बेचने वाले के बेटे ने बिहार का नाम किया रोशन, राजपथ पर ब्रह्मोस मिसाइल के दस्ते को लीड करेंगे कैप्टन मो. कमरूल जमां

SITAMARHI : शहर के विश्वनाथपुर चौक पर मुर्गा बेचने वाले गुलाम मुस्तफा खान के बेटे कैप्टन मो. कमरूल जमां ने राष्ट्रीय स्तर पर अपने घर-परिवार, गांव और बिहार का नाम रोशन किया है. इंडियन आर्मी में तैनात कैप्टन कमरुल जमा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ पर होने वाले परेड में ब्रह्मोस मिसाइल के दस्ते को लीड करेंगे.


गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को देश की राजधानी नई दिल्ली के राजपथ पर होने वाली परेड में ब्रह्मोस मिसाइल दस्ते का नेतृत्व बिहार के मूल निवासी कैप्टन मो. कमरूल जमां करेंगे. इंडियन आर्मी में तैनात कैप्टन मो. कमरूल जमां बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले हैं. जिले के डुमरा प्रखण्ड के मधुबन पंचायत के राजा नगर तलखापुर गांव में उनके पिता गुलाम मुस्तफा खान मुर्गा बेचते हैं. बेटे की कामयाबी के बारे में सुनकर उनका पूरा परिवार काफी खुश है. कैप्टन मो. कमरूल जमां की बहनें भाई की इस कामयाबी को देख कर काफी उत्साहित हैं. वह भी देश की सेवा करना चाहती हैं. पूरा परिवार गौरवान्वित है.


कैप्टन मो. कमरूल जमां के पिता गुलाम मुस्तफा खा शहर के विश्वनाथपुर चौक पर चिकन बेचते हैं. उनके पिता बताते हैं कि कैप्टन जमा की शुरुआती शिक्षा दीक्षा एमपी हाई स्कूल एवं गोयनका कॉलेज से हुई है. उसके बाद उन्होंने 2018 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास करने के बाद सेना में अफसर बने. उनके पिता ने काफी संघर्ष कर के कैप्टन जमा को पढ़ाया जो एक महत्वपूर्ण वजह है उनके इस मुकाम पर पहुँचने की उनके पिता आज भी चिकेन के छोटा सा दुकान चलाते हैं.


कैप्टन मो. कमरूल जमां ने बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम दुनिया का पहला क्रूज मिसाइल सिस्टम है. इसकी रेंज 400 किलोमीटर तक की है, जो तीव्र गति के साथ दुश्मन को निशाना बना सकती है.  यह सबसे घातक औस सबसे शक्तिशाली हथियार में से एक है. यह हथियार दुनिया भर में अपनी मारक क्षमता के लिए मशहूर है.


कैप्टन मो. कमरूल जमां ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में बताया कि बचपन से देश की सेवा करने की इच्छा थी. सैन्य बलों का अनुशासन और देश सेवा की भावना देख कर प्रभावित होता था. बचपन में ही ठान लिया था कि सेना में जाना है. इसी सोच के साथ 12वीं करने के तुरंत बाद सेना ज्वाइन कर लिया. गणतंत्र दिवस के अवसर पर परेड में ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम दस्ते को लीड करने का अवसर मेरे लिए गर्व की बात है. मेरे लिए सबसे पहले और सबसे बढ़कर देश सेवा है.