MUZAFFARPUR: भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट ने शुक्रवार को बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के 135वीं जयंती पर स्थानीय बीबीगंज स्थित राजलक्ष्मी विवाह भवन के सभागार में समारोह आयोजित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया। जयंती समारोह की अध्यक्षता फ्रंट के जिला अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह तथा संचालन महासचिव विनय ठाकुर ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ फ्रंट फ्रंट के अध्यक्ष सुरेश शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष अजीत कुमार एवं सुधीर शर्मा ने श्री बाबू के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने कहा कि श्री बाबू समकालीन भारतीय राजनीति के दिव्यमान राजनेता थे। उन्होंने समाज के सभी वर्गों के संतुलित विकास पर ध्यान देते हुए बिहार और इस देश को बहुत कुछ दिया था। श्री बाबू स्वामी सहजानंद सरस्वती के विचारों से प्रभावित होकर इस देश में पहली बार बिहार से जमीनदारी प्रथा का उन्मूलन प्रारंभ किया था। उन्होंने बिहार में उद्योग, कृषि , सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, कला व सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करते हुए कल कारखाना, शैक्षणिक संस्थान खुलवा कर बिहार को प्रगति की ओर अग्रसर कराया था। उनके द्वारा रिफाइनरी, खाद कारखाना, भारी उद्योग , देश का सबसे बड़ा स्टील प्लांट, एशिया का सबसे बड़ा रेल यार्ड, गंगोत्री से गंगासागर के बीच प्रथम रेल सह- सड़क पुल, राजेंद्र पुल, कोसी प्रोजेक्ट, पूसा और सबौर में एग्रीकल्चर कॉलेज, बिहार, भागलपुर, रांची विश्वविद्यालय स्थापित कर बिहार को नया स्वरूप प्रदान किया था। उन्होंने कहा कि आज भले श्री बाबू हम सबके बीच नहीं हैं लेकिन उनका कृति अमर है, अमर रहेगा। उन्होंने खासकर युवा वर्ग से श्री बाबू के द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर समाज को मजबूती के लिए आगे आने का अपील किया।
इस मौके पर फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि श्री बाबू हमारे आदर्श हैं। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर बिहार और इस देश के प्रगति के लिए जो कीर्ति किया वह सदा सदा के लिए अमर रहेगा। उन्होंने कहा कि श्री बाबू जमींदारी उन्मूलन व दलित समाज के लोगों को मंदिर में प्रवेश दिला कर सामाजिक समरसता का मिसाल कायम किया था। उन्होंने अभी तक श्री बाबू को भारत रत्न की उपाधि नहीं दिए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से शीघ्र उन्हें भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित करने की मांग की।
फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर शर्मा ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि श्री बाबू आजीवन अपराजय और 1937 से अपने जीवन के अंतिम समय तक मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने कहा कि श्री बाबू ने देश में सबसे पहले जमीनदारी उन्मूलन कानून बनाया साथ ही देवघर के मंदिर में दलितों को प्रवेश कराने का काम किया। सरकार अपनी गलतियों को सुधार कर शीघ्र श्री बाबू को भारत रत्न से सम्मानित करें, साथ ही उनके जीवनी को एनसीआरटी और बिहार के पाठ्यक्रमों में शामिल करें। श्री शर्मा ने सरकार से पटना विश्वविद्यालय का नाम श्री बाबू के नाम पर रखने का भी मांग किया।
इस मौके पर फ्रंट के प्रदेश उपाध्यक्ष अरुण कुमार सिंह, पटना नगर के अध्यक्ष महेश्वर सिंह, कोषाध्यक्ष पीएन सिंह आजाद, वर्षा रानी, महिला के अध्यक्ष कादंबिनी ठाकुर , प्रदेश सचिव शिशिर कौंडिल्य, सचिव संजीत ठाकुर ,राकेश कुमार सिंह, शांतनु सत्यम तिवारी , लक्ष्मी नारायण सिंह, सुमन कुमार सिंहचंदेश्वर चौधरी, जितेश कुमार उर्फ राजा बाबू, रणधीर कुमार सिंह ,इंद्रमोहन झा, शंभू नाथ चौबे ,विपिन साही, कमलेश कुमार सिंह ,अवधेश प्रसाद सिंह, ललन जी मुखिया, पंकज पांडे , सुधीर पांडे ,कविता देवी ,चंद्र भूषण सिंह, सुनील शर्मा, शशि रंजन प्रसाद सिंह उर्फ डबलू सिंह, दिव्यांशु सौरभ, श्री कृष्णा, आशुतोष कुमार, सुबेश कुमार सिंह , निखिल कुमार , पूर्व मुखिया नंदकिशोर प्रसाद सिंह, अधिवक्ता अभिषेक कुमार, सत्य प्रकाश भारद्वाज, विकास पांडे उर्फ लालू, शिवेंद्र प्रसाद सिंह, राजेश जी सरपंच ,सोना सरिता सहित दर्जनों नेताओं ने अपना अपना विचार व्यक्त करते हुए श्री बाबू के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित किया । साथ ही उनके बताए हुए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।