PATNA: बिहार में सरकारी स्कूलों के टीचरों को शराब पकड़वाने का टास्क देने वाली सरकार ने यू-टर्न मारा है. सूबे के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने अब सफाई दी है-शिक्षकों को शराब पकड़ने के लिए टारगेट नहीं दिया है. जैसे सरकार ने हर नागरिक से शराब की सूचना देने की अपील की है वैसे ही शिक्षकों से भी की गयी है. सब कंफ्यूजन मीडिया ने पैदा किया है.
विजय चौधरी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी को सफल बनाने के लिए सरकार ने हर नागरिक से अपील किया है कि वे शराब पीने औऱ बेचने वालों की खबर दें. वही बात हमारे विभाग ने शिक्षकों से की है. उनसे अपील की गयी है कि वे शराबबंदी को सफल बनाने में सहयोग करें. उनको जबरदस्ती कोई टारगेट तो नहीं दिया गया है कि वे सप्ताह में इतनी सूचना दें. उन पर कोई प्रेशऱ नहीं दिया गया है. उनको कोई एडिशनल ड्यूटी नहीं दे दी गयी है. ये सब अनावश्यक कंफ्यूजन क्रियेट किया जा रहा है.
विरोध के बाद सरकार का यू टर्न
दरअसल सरकार ने ये यू-टर्न शिक्षकों का आक्रोश भड़कने के बाद लिया है. शराबबंदी कानून का पालन कराने के लिए शराबियों को पकड़वाने के आदेश से आक्रोशित शिक्षकों ने राज्य में बड़े आंदोलन की चेतावनी दे दी थी. बिहार के सभी शिक्षक संघों ने इसके खिलाफ आंदोलन का एलान कर दिया था. बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश प्रवक्ता मुस्तफा आजाद ने कहा है कि शिक्षक 5 जनवरी के बाद सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे. वहीं, बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू ने राज्य के सभी प्रखंड मुख्यालय पर 30 जनवरी रविवार को अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग के आदेश पत्र की प्रति जलाकर विरोध करने का एलान कर दिया था. TET-STET उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ ने सरकारी शिक्षकों से शराब पकडवाने के सरकारी आदेश के खिलाफ हर स्तर पर आंदोलन किया जायेगा.
सरकार अपनी ही बात को झुठला रही है
दिलचस्प बात ये है कि सरकार अपनी ही बात से पलटती दिख रही है. अगर सरकार ने पहले ही बिहार के सभी नागरिकों से शराब पकडवाने की अपील की थी तो शिक्षकों के लिए खास आदेश क्यों निकाला गया. 28 जनवरी को बिहार के शिक्षा विबाग के अपर मुख्य सचिव ने सभी शिक्षा अधिकारियों को खास चिट्ठी लिखकर सरकारी शिक्षकों को शराब पकड़वाने में मदद करने का फरमान जारी किया था. पत्र में क्या आदेश दिया गया था, उसे हम हू-बहू आपके सामने रख रहे हैं. देखिये क्या लिखा था शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने
“ऐसी सूचनायें प्राप्त हो रही हैं कि अभी भी कतिपय लोगों द्वारा चोरी-छुपे शराब का सेवन किया जा रहा है. इसे रोकना अति आवश्यक है. इस संबंध में निदेश दिया जाता है कि प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में शिक्षा समिति की बैठक आहूत कर नशामुक्ति के संदर्भ में आवश्यक जानकारी दी जाये. साथ ही प्राथनिक, मध्य औऱ उच्च विद्यालयों के सभी प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों, शिक्षिकाओं, शिक्षा सेवकों, तालीमी मरकज से शिक्षा सेवकों औऱ विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों को निदेश दिया जाये कि वे चोरी-छुपे शराब पीने वाले या आपूर्ति करने वालों की पहचान कर मद्य निषेध विभाग के मोबाइल औऱ टॉल फ्री नंबर पर सूचना दें.”
यानि बिहार सरकार ने ये साफ साफ कहा था कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाओं को अब शराब ढ़ूंढना होगा. जिस टीचर का काम बच्चों को पढ़ा कर बिहार औऱ देश का भविष्य संवारना है वे शराब खोजेंगे. सरकार का आदेश कह रहा है कि सिर्फ गुरू जी ही नहीं बल्कि नियत मानदेय पर काम कर रहे शिक्षा सेवकों औऱ विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों को भी शराब पीने औऱ बेचने वालों की पहचान करनी होगी औऱ उसकी खबर राज्य सरकार को देनी होगी. सरकारी आदेश में ये भी हिदायत दी गयी है कि ये सुनिश्चित किया जाये कि सरकारी स्कूल कैंपस में कोई भी व्यक्ति शराब का सेवन नहीं करें.