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PATNA/RANCHI: 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। कल यानि गुरुवार को कलश स्थापना के साथ ही देवी उपासना का नौ दिनों का अनुष्ठान शुरू हो जाएगा। शारदीय नवरात्रि में इस बार माता का आगमन पालकी पर हो रहा है जबकि प्रस्थान मुर्गे पर होगा। माता का पालकी पर आगमन और मुर्गे पर प्रस्थान दोनों शुभ फलदायी नहीं है।
पूरे 9 दिन की नवरात्रि
इस बार पूरे 9 दिनों की नवरात्रि मनाई जाएगी। 3 अक्टूबर से शुरू होकर अगले 9 दिनों तक चलने वाली नवरात्रि के दौरान श्रद्धालु मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की अराधना करेंगे। कलश स्थापना के साथ ही श्रद्धालुओं का नौ दिनों का उपवास भी शुरू हो जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना यानी कलश की स्थापना की जाती है। कलश स्थापना या घटस्थापना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
ऐसे करें कलश स्थापना की तैयारी
कलश स्थापना की विधि शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें। उसके बाद एक साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें। लाल रंग के इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें और मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें और कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें। कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें। एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें। इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें। नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है।
शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना
तीन अक्टूबर को पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा होगी। प्रथम दिन सूर्योदय से लेकर दोपहर 3 बजकर 17 मीनट तक हस्त नक्षत्र व्याप्त रहेगा इसके बाद चित्रा नक्षत्र शुरू होगा। हस्त नक्षत्र में कलश स्थापन या घट स्थापन अत्यंत शुभ माना जाता है। 3 अक्टूबर को शुभ चौघड़िया मुहूर्त सुबह 6 बजे से सुबह साढ़े सात बजे तक रहेगा। उसके बाद सुबह साढ़े 10 बजे से दोपहर 1:30 तक रहेगा। दोपहर डेढ बजे से तीन बजे तक राहू काल रहेगा। राहू काल में कलश स्थापन को ठीक नहीं माना जाता है। ऐसे में शुभ मुहूर्त में कलश स्थापन या घट स्थापना करना शुभ फलदायी होता है।