शराबियों के खिलाफ सरकार का नया प्लान, अब अधिकारियों को टारगेट देकर कराएगी गिरफ्तार

शराबियों के खिलाफ सरकार का नया प्लान, अब अधिकारियों को टारगेट देकर कराएगी गिरफ्तार

PATNA: अगर आप सोच रहे हैं कि बिहार में शराबबंदी कानून में सरकार ने ढिल दे दी है तो हम आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। शराबबंदी कानून में संशोधन के बाद भले ही पुलिस शराबियों को जेल नहीं भेज रही है लेकिन गिरफ्तारियां तेज कर दी है। गिरफ्तारी तेज होने से जुर्माना वसूली में भी तेजी आएगी। इसके लिए जिलास्तर पर बनाई गई एंटी लिकर टास्क फोर्स का नए सिरे से पुनर्गठन होगा।


बिहार में शराबबंदी कानून को और प्रभावकारी बनाने की दिशा में तैयारी चल रही है। इस बात की जानकारी मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने दी। उन्होंने कहा कि भले ही शराबियों को जेल नहीं भेजा जा रहा है लेकिन गिरफ्तारियां तेज कर दी गई हैं। उन्होंने बताया कि एएलटीएफ का लक्ष्य भी बढ़ाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक शराब माफिया पर शिकंजा कसा जा सके। पिछले दिनों हुआ बैठक में इसको लेकर निर्णय लिया गया।


आयुक्त के मुताबिक अब एएलटीएफ के कार्यों की रोज समीक्षा होगी। समीक्षा के दौरान खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों को चिह्नित कर हर सप्ताह उनकी अलग से वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से समीक्षा होगी। जिस जिले में एएलटीएफ की संख्या अधिकार है वहां से उन्हे स्थानांतरित कर उन जिलों में भेजा जाएगा जहां उनकी संख्या कम है।


आयुक्त ने बताया कि जून महीने में पुलिस और मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग की संयुक्त कार्रवाई तेज हुई है। पहले एक सप्ताह में औसत दो हजार गिरफ्तारियां होती थी लेकिन अब  बढ़कर 3600 तक हो गई है। सिर्फ उत्पाद विभाग हर दिन 150-180 लोगों को उत्पाद अधिनियम में गिरफ्तार कर रहा है। एक से 11 जून के बीच 35,331 छापेमारी की गई है, जिसमें 3,879 उत्पाद अभियोग दर्ज किए गए हैं। इस दौरान संयुक्त रूप से 5,771 को गिरफ्तार किया गया है। इसमें पुलिस ने 3896 जबकि उत्पाद विभाग ने 1875 को गिरफ्तार किया है।