1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 01 Aug 2024 12:13:55 PM IST
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DELHI: सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एससी/एसटी में कोटा के अंदर कोटा को अपनी मंजूरी दे दी है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोटा में कोटा असमानता के खिलाफ नहीं है। सात जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार एससी/एसटी में सब कैटेगरी बना सकती है, जिससे जरूरतमंत कैटेगरी के लोगों को आरक्षण का अधिक लाभ मिलेगा।
दरअसल, पंजाब में वाल्मीकि और मजहबी सिख जातियों को अनुसूचित जाति जाति आरक्षण का पचास फीसद हिस्सा देने वाले कानून को साल 2010 में हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया।
याचिका में कहा गया कि SC/ST में भी कई ऐसी जातियां हैं जो बहुत ही अधिक पिछड़ी हुई है और उन्हें सशख्त बनाने की जरुरत है। कोर्ट ने कहा कि जिस भी जाति को आरक्षण में अलग से हिस्सा दिया जा रहा है उसके पिछड़ेपन का सबूत होना जरूरी है। शिक्षा और नौकरी में वैसी जातियों के कम प्रतिनिधित्व को आधार पर उन्हें आरक्षण में आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है। किसी भी जाति की संख्या अधिक होने को इसके लिए आधार बनाना गलत है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग में समानता नहीं हैं, उसमें कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हुई हैं उन्हें अवसर मिलना चाहिए। यह व्यवस्था अनुसूचित जाति के लिए भी लागू हो सकती है। कुछ अनुसूचित जातियों ने दूसरी अनूसूचित जातियों की तुलना में सदियों से ज्यादा भेदभाव को सहा है। कोर्ट ने कहा कि कोई राज्य अगर आरक्षण को वर्गीकृत करना चाहता है तो उसे पहले इससे जुड़े आंकड़े जुटाने होंगे।