Bihar News: रक्सौल से अमेरिकी नागरिक गिरफ्तार, जांच में सामने आई हैरान करने वाली बातें Bihar Crime News: बिहार पुलिस का जवान निकला बालू तस्कर, ऐसे सामने आया माफिया का काला कारोबार Mango gift to PM : भागलपुर से पीएम मोदी को समर्पित आम ,'मोदी-3' फिर भेजा जाएगा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री हाउस Bihar Crime News: "भाभी, इश्क और भाई का खंजर", बुआ से लेकर मामी तक के घर में मचा कोहराम Bihar News: खगड़िया में फर्नीचर शोरूम में भीषण आग से लाखों का नुकसान UPMSP UP Board 10th 12th Result 2025: यूपी बोर्ड ने जारी किया 10वीं और 12वीं का रिजल्ट, जानिए.. कौन हैं स्टेट टॉपर्स UPMSP UP Board 10th 12th Result 2025: यूपी बोर्ड ने जारी किया 10वीं और 12वीं का रिजल्ट, जानिए.. कौन हैं स्टेट टॉपर्स Bihar Land Survey: भूमि सर्वे के बीच नीतीश कैबिनेट का बड़ा फैसला, 'बदलैन' वाली जमीन का क्या होगा, जानें... Bihar Crime News: बाइक के लिए महिला को दे दी सजा-ए-मौत, शव को जलाने जा रहे थे, तभी ग्रामीण ने खोल दी पोल Electric vehicle battery danger: इलेक्ट्रिक वाहन EV खरीदने से पहले पढ़ लें ये खबर... वरना हो सकता है बड़ा नुकसान!
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 01 Aug 2024 12:13:55 PM IST
- फ़ोटो
DELHI: सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एससी/एसटी में कोटा के अंदर कोटा को अपनी मंजूरी दे दी है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोटा में कोटा असमानता के खिलाफ नहीं है। सात जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार एससी/एसटी में सब कैटेगरी बना सकती है, जिससे जरूरतमंत कैटेगरी के लोगों को आरक्षण का अधिक लाभ मिलेगा।
दरअसल, पंजाब में वाल्मीकि और मजहबी सिख जातियों को अनुसूचित जाति जाति आरक्षण का पचास फीसद हिस्सा देने वाले कानून को साल 2010 में हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया।
याचिका में कहा गया कि SC/ST में भी कई ऐसी जातियां हैं जो बहुत ही अधिक पिछड़ी हुई है और उन्हें सशख्त बनाने की जरुरत है। कोर्ट ने कहा कि जिस भी जाति को आरक्षण में अलग से हिस्सा दिया जा रहा है उसके पिछड़ेपन का सबूत होना जरूरी है। शिक्षा और नौकरी में वैसी जातियों के कम प्रतिनिधित्व को आधार पर उन्हें आरक्षण में आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है। किसी भी जाति की संख्या अधिक होने को इसके लिए आधार बनाना गलत है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग में समानता नहीं हैं, उसमें कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हुई हैं उन्हें अवसर मिलना चाहिए। यह व्यवस्था अनुसूचित जाति के लिए भी लागू हो सकती है। कुछ अनुसूचित जातियों ने दूसरी अनूसूचित जातियों की तुलना में सदियों से ज्यादा भेदभाव को सहा है। कोर्ट ने कहा कि कोई राज्य अगर आरक्षण को वर्गीकृत करना चाहता है तो उसे पहले इससे जुड़े आंकड़े जुटाने होंगे।