DESK : कोरोना काल में देश की आर्थिक हालत बेहद ख़राब है. हर सेक्टर में मंदी का दौर चल रहा है. सरकार की तरफ से राहत पैकेज के ऐलान करने के बावजूद हालत को सुधरने में काफी वक्त लगने वाला है. राहत पैकेज का ज्यादातर हिस्सा अलग-अलग सेक्टर में लोन के रूप में दिया जाएगा. ऐसे में अर्थव्यस्था को फिर से पटरी पर लाना कड़ी चुनौती से कम नहीं है.
इन सब के बीच देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के कर्मचारियों को आने वाले दिनों में एक बड़ा झटका लगने वाला है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एसबीआई अपने कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानि (वीआरएस) देने की तैयारी में है. वीआरएस देने से बैंक का एक बड़ा तबका प्रभावित हो सकता है. खबर के अनुसार इसके दायरे में 30190 कर्मचारी आ सकते हैं. ऐसा करने के पीछे बैंक का कहना है कि लागत में कटौती के लिए यह फैसला लिया जा रहा है. इस फैसले से लगभग दो हजार करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी. एसबीआई के कुल कर्मचारियों की संख्या 31 मार्च 2020 तक 2.49 लाख थी, जबकि मार्च 2019 में यह संख्या 2.57 लाख थी.
सूत्रों के माध्यम से जानकारी मिली है कि, वीआरएस के लिए एक ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और बोर्ड की मंजूरी का इंतजार है. इस प्रस्तावित वीआरएस का नाम सेकेंड इनिंग टैप वीआरएस 2020 दिया गया है. इससे पहले वर्ष 2001 में भी एसबीआई ने वीआरएस की पेशकश की थी. ड्राफ्ट के मुताबिक एसबीआई की वीआरएस योजना ऐसे सभी स्थायी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए खुली होगी, जिन्होंने निर्धारित तारीख तक बैंक को 25 साल की सेवा दी होगी या 55 साल की उम्र पूरी कर चुके होंगे.
यह योजना इस साल एक दिसंबर से फरवरी 2020 के आखिर तक खुली रहेगी. यानी इसी अवधि में वीआरएस के लिए आवेदन स्वीकार किए जाएंगे. प्रस्तावित ड्रॉफ्ट के मुताबिक, कुल 11565 अधिकारी और 18625 कर्मचारी वीआरएस स्कीम के लिए पात्र होंगे. इसमें कहा गया है कि यदि योजना के तहत रिटायरमेंट के योग्य कर्मचारियों में से 30 फीसदी भी वीआरएस का विकल्प चुनते हैं तो जुलाई 2020 के वेतन पर आधारित अनुमान के तहत एसबीआई को करीब 2170 करोड़ रुपये की बचत होगी.
जिन कर्मचारियों का वीआरएस का आवेदन स्वीकार किया जाएगा उन्हें वास्तविक रिटायरमेंट तारीख तक बची हुई सेवा अवधि के लिए वेतन का 50 फीसदी एक्स ग्रेशिया के रूप में मिलेगा. इसके अलावा अन्य फायदे जैसे ग्रेच्युटी, पेंशन, भविष्य निधि और मेडिकल बेनिफिट्स भी मिलेंगे. इस योजना के तहत रिटायर होने वाले कर्मचारी रिटायरमेंट की तारीख से लेकर दो साल तक की निश्चित अवधि के बाद बैंक के साथ दोबारा जुड़ने के योग्य होंगे.