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15-Feb-2023 11:16 AM
GOPALGANJ : बिहार सरकार के पूर्व खनन और भूतत्व विभाग के मंत्री जनक राम की मुश्किलें अब बढ़ती हुई नजर आ रही है। इनको एसीजेएम एके मानवेंद्र मिश्र की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने आदर्श आचार सहिंता के उलंघन मामले में दोषी करार दिया है। इसके साथ ही इसी मामले में कोर्ट ने तारकेश्वर नाथ शर्मा को भी सजा सुनाई है। कोर्ट ने इन दोनों को अर्थदंड की सजा सुनाई है।
वहीं, कोर्ट में सजा सुनाए जाने के दौरान बिहार सरकार के पूर्व मंत्री का एक अलग ही अंदाज लोगों को दिखा। भाजपा नेता ने कोर्ट में जज से अपनी भूल पर माफ़ी मांगते हुए कहा कि, हुजूर पहला अपराध है, माफ कर दीजिए। जिसके बाद कोर्ट ने इनको 1100 रुपए की अर्थदंड की सजा सुनाई है। बिहार सरकार के कोर्ट को यह भरोसा दिया है कि, वो आगे से इस तरह की आपराधिक गतिविधि में कभी शामिल नहीं होंगे। हमेशा विधि द्वारा स्थापित कानून का पालन करेंगे और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। उन्होंने कहा कि शांति पूर्वक विचार करते हुए माफ कर दिया जाए।
दरअसल, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री आदर्श आचार सहिंता के उलंघन मामले में सुनवाई को लेकर एसीजेएम एके मानवेंद्र मिश्र की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट पहुंचे थे। इसी दौरान खुद के सजा सुनाए जाने से पहले इन्होंने खुद की गलती पर माफ़ी मांगते हुए कहा कि, ये मेरे लिए अपराध का पहला मामला है, माफ कर दीजिए। कोर्ट ने कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। अगर आपने खुलेआम ऐसा किया है तो उसकी सजा तो दी जाएगी। जिसके बाद पूर्व मंत्री जनक राम ने कोर्ट से कहा कि भविष्य में इस तरह की आपराधिक गतिविधि में कभी शामिल नहीं होंगे। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।
इधर, इस मामले को लेकर अभियोजन पदाधिकारी आनंद शर्मा ने कोर्ट को बताया कि अभियुक्त जनक रामपुर में सांसद और बिहार सरकार के मंत्री रह चुके हैं, लेकिन उन्होंने चुनाव आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है। अभियोजन पदाधिकारी ने कहा कि, जनक राम ने लोक सेवक के रूप में अपने कर्तव्य का जानबूझकर उल्लंघन किया है, इन्हें सजा दी जाए। जनक राम और तारकेश्वर नाथ शर्मा ने अपना अपराध भी स्वीकार किया है। जिसके बाद कोर्ट ने भी ये माना कि आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है और संविधान के अनुच्छेद 14 में विधि के समक्ष समानता और कानून से ऊपर कुछ नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने दोनों नेताओं को भारतीय दंड संहिता की धारा 118 में एक हजार रुपये का अर्थदंड और लाउडस्पीकर एक्ट की धारा 9 में एक एक सौ का अर्थदंड की सजा दी गई।