PATNA: बिहार में लगातार शराब के मामलों में गरीबों-पिछड़ों की बस्ती में पुलिसिया उत्पात की खबरों के बीच सरकार ने धंधेबाजों के लिए नियम बदल दिया है. राज्य सरकार ने शराबबंदी लागू करने के दौरान नियम बनाया था कि शराब ले जा रहे वाहन को जब्त कर नीलाम कर दिया जायेगा. बाद में नियमों में ढील देकर गाड़ी की बीमा राशि का 50 परसेंट जुर्माने के तौर पर भरकर वाहन छोड़ने का नियम बना. अब सरकार ने फिर नियम बदला है- शराब ले जा रही गाड़ी पकड़ी गयी तो बीमा राशि का मात्र 10 परसेंट राशि जमा कर पकड़े गये वाहन को छुड़ाया जा सकता है.
भाजपा नेता सुशील मोदी ने इसे लेकर नीतीश सरकार पर तीखा हमला बोला है. सुशील मोदी ने कहा है कि शराबबंदी कानून को पिछले 6 साल में इतना कमजोर कर दिया गया है कि उसका पूरा लाभ माफियाओं और बड़े लोगों को मिल रहा है. क्या राज्य सरकार सिर्फ गरीब, पिछड़ों और दलितों पर शराबबंदी का जुल्म बरसायेगी. राज्य सरकार को तत्काल शराबबंदी कानून के तहत दर्ज किये गये 4 लाख से ज्यादा मुकदमों को वापस लेते हुए आम माफी का एलान करना चाहिए.
सुशील मोदी ने कहा कि शराबबंदी कानून के सबसे ज्यादा शिकार दलित, पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग के लाखों गरीब हुए हैं. सरकार उनके लिए तत्काल राहत का एलान करे. इससे अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम होगा. शराब पीने के चलते जो लोग पहली बार जेल गए, उन्हें रिहा किया जाना चाहिए.
सुशील मोदी ने कहा कि शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार अपने ही कानून में लगातार बदलाव कर रही है. नियमों में लगातार नरमी से साफ है कि राज्य सरकार पूर्ण शराबबंदी लागू करने में विफल है. न्होंने कहा कि 2016 में एक बोतल शराब मिलने पर मकान और वाहन जब्त करने का कानून था, आज शराब माफिया के दबाव में मामूली जुर्माना लगाने पर आ गए.
गुजरात मॉडल पर लागू करें शराबबंदी
सुशील मोदी ने कहा कि अब बिहार में गुजरात की तरह परमिट व्यवस्था लागू करनी चाहिए, ताकि बीमार लोगों को मेडिकल ग्राउंड पर और पर्यटकों के लिए सीमित मात्रा में शराब की आपूर्ति आसान हो सके. उन्होंने कहा कि यदि अपनी जिद छोड़ कर नीतीश कुमार शराब की परमिट व्यवस्था लागू करें, तो राजस्व बढेगा, तस्करी पर अंकुश लगेगा और पर्यटन उद्योग में रोजगार के अवसर भी बढेंगे.