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05-Jan-2023 06:18 PM
JHARKHAND: झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित जैनियों के सर्वोच्च तीर्थस्थल पारसनाथ पहाड़ी सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल के रूप में नोटिफाई किए जाने का विरोध पिछले कई दिनों से हो रहा था। जैन समुदाय के लोगों का कहना है कि झारखंड सरकार ने जैन धर्म के सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल बनाया है, इससे वहां की पवित्रता खंडित हो जाएगी। जैन समुदाय की ओर से लगातार हो रहे विरोध के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर अधिसूचना में बदलाव करने का आग्रह किया। जिसके बाद केंद्र सरकार ने कमेटी का गठन करते हुए फैसले को वापस ले लिया और राज्य सरकार को 2019 की अधिसूचना पर कार्रवाई करने को कहा है।
दरअसल, झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित जैनियों के सर्वोच्च तीर्थस्थल पारसनाथ पहाड़ी सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल के रूप में नोटिफाई किए जाने पर देश-विदेश में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। सरकार के इस फैसले के विरोध में राजस्थान के सांगानेर में अनशन करते हुए जैन मुनि सुज्ञेय सागर जी ने बीते मंगलवार को देह त्याग दिया, इसके बाद जैन धर्मावलंबियों का आक्रोश चरम पर पहुंच गया है। इसके विरोध में देशभर के जैन समुदाय के लोगों ने गुरुवार को गिरिडीह में मौन जुलूस निकाला। गिरिडीह में सकल जैन समाज ने गुरुवार को बड़ा चौक स्थित दिगंबर जैन मंदिर से मौन जुलूस निकाला। इस मौन जुलूस में रांची, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा, बोकारो समेत विभिन्न जिलों से पहुंचे जैन समाज के सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए।
जैन समुदाय के लोगों के विरोध को देखते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने ने केंद्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर अधिसूचना में बदलाव करने का आग्रह किया। इस पत्र में हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार की ओर से 2 सितंबर 2019 को जारी अधिसूचना में बदलाव का आग्रह किया। मुख्यमंत्री के आग्रह के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 2019 अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधान पर रोक लगा दिया है और हेमंत सरकार को 2019 की अधिसूचना पर कार्रवाई करने को कहा है। भूपेंद्र यादव ने कहा है कि धार्मिक स्थल की पवित्रता बनाये रखनी होगी, इसके लिए कमेटी की गठन किया गया है। केंद्र सरकार के इस बड़े फैसले का जैन मुनि प्रमाण सागर जी महाराज ने स्वागत किया है।