DESK: सेम सेक्स मैरिज को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर AIMIM चीख असदुद्दीन ओवैसी ने खुशी जताई है। ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट कर कहा कि कोर्ट संसदीय सर्वोच्चता के सिद्धांत को बरकरार रखा है। यह तय करना अदालतों पर निर्भर नहीं है कि कौन किस कानून के तहत शादी करेगा।
ओवैसी ने आगे लिखा कि, ‘मेरा विश्वास और मेरी अंतरात्मा कहती है कि शादी केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच होती है। यह 377 के मामले की तरह गैर-अपराधीकरण का सवाल नहीं है, यह विवाह की मान्यता के बारे में है। यह सही है कि सरकार इसे किसी एक और सभी पर लागू नहीं कर सकती’।
ओवैसी ने लिखा कि, ‘मैं बेंच की उस टिप्पणी से चिंतित हूं कि ट्रांसजेंडर लोग स्पेशल मैरिज एक्ट और पर्सनल लॉ के तहत शादी कर सकते हैं। जहां तक इस्लाम का सवाल है तो यह सही व्याख्या नहीं है क्योंकि इस्लाम दो बायोलॉजिकल मेल या दो बायोलॉजिकल फीमेल के बीच विवाह को मान्यता नहीं देता है’।
AIMIM चीफ ने आगे लिखा कि, ‘मैं न्यायमूर्ति भट से सहमत हूं कि "स्पेशल मैरिज एक्ट की लिंग-तटस्थ (जेंडर न्यूट्रल) व्याख्या कभी-कभी न्यायसंगत नहीं हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप महिलाओं को अनपेक्षित तरीके से कमजोरियों का सामना करना पड़ सकता है’।