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1st Bihar Published by: Updated Mon, 11 Jan 2021 01:31:59 PM IST
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PATNA : विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और एनडीए से अलग जाकर नए गठजोड़ के साथ चुनाव लड़ने वाले उपेंद्र कुशवाहा को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई लेकिन कुशवाहा वोट बैंक में उनकी सेंधमारी ने नीतीश कुमार को काफी नुकसान पहुंचाया. नीतीश कुमार ने कुशवाहा वोटर्स को अपने साथ एक बार फिर जोड़ने के लिए पुराने लव-कुश समीकरण पर चलने का फैसला किया और प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पार्टी के विधायक उमेश कुशवाहा की ताजपोशी कर दी. नीतीश कुमार के इस कार्ड ने उपेंद्र कुशवाहा की नींद उड़ा दी है.
जेडीयू की नई रणनीति को देखते हुए उपेंद्र कुशवाहा आज अपनी पार्टी के नेताओं के साथ अहम बैठक कर रहे हैं. प्रदेश कार्यालय में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के विधानसभा प्रभारियों और अन्य नेताओं के साथ कुशवाहा बैठक कर रहे हैं. इस बैठक में विधानसभा चुनाव के दौरान मिली हार की समीक्षा के साथ साथ अन्य तरह के फीडबैक भी लिए जा रहे हैं. दरअसल, कुशवाहा की सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि नीतीश कुमार का पुराना लव-कुश समीकरण अगर वापस से चल निकला तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें पहुंचेगा.
विधानसभा चुनाव के बाद उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार से मुलाकात कर चुके हैं, तब या खबर आई थी कि नीतीश कुमार ने कुशवाहा को अपनी पार्टी के साथ जेडीयू में विलय करने का प्रस्ताव दिया था. कुशवाहा ने विलय के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था जिसके बाद नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के अंदर ही कुशवाहा समाज से आने वाले नेताओं को फ्रंटलाइन मिलाकर महत्वपूर्ण भूमिका दे दी. नीतीश कुमार इस बात को भली भांति समझ रहे हैं कि कुशवाहा वोटर्स के खिसकने के कारण जेडीयू को कितना नुकसान हुआ. उपेंद्र कुशवाहा हर हाल में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को खड़ा रखना चाहते हैं और इसी वजह से उन्होंने विलय के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था. अब कुशवाहा नए सिरे से अपना वोट बैंक जोड़े रखने के लिए रणनीति बना रहे हैं.
उमेश कुशवाहा को जेडीयू का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर उपेंद्र कुशवाहा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह जेडीयू का अंदरूनी मामला है. नीतीश कुमार अगर वाकई लव-कुश समीकरण पर लौटना चाहते हैं तो यह उनकी राजनीति का हिस्सा है. उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि कुशवाहा समाज को केवल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी पर भरोसा है. आज की बैठक में कुशवाहा भविष्य के लिए क्या रणनीति बनाते हैं, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई है. हालांकि उपेंद्र कुशवाहा के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह आ रही है कि उनके तमाम बड़े नेता एक-एक कर साथ छोड़ जाते रहे हैं. पिछले 3 महीने से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली है और कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष के जरिए काम लिया जा रहा है. तमाम चुनौतियों के बीच कुशवाहा किस तरह अपनी पार्टी को वापस पटरी पर ला पाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा.