RJD अब केवल लालू परिवार की पार्टी नहीं, नेताओं की अगली पीढ़ी को भी एडजस्ट किया गया

RJD अब केवल लालू परिवार की पार्टी नहीं, नेताओं की अगली पीढ़ी को भी एडजस्ट किया गया

PATNA : राष्ट्रीय जनता दल के ऊपर आरोप लगता रहा है कि वह लालू यादव के परिवार की पार्टी है. विरोधी जब भी आरजेडी पर निशाना साधते हैं तो उसे वन फैमिली पार्टी बताते हैं, लेकिन अब आरजेडी में पहले से बहुत कुछ बदल गया है. मौजूदा विधानसभा चुनाव में लालू परिवार से आगे बढ़कर आरजेडी ने अपनी पार्टी के अन्य नेताओं की अगली पीढ़ी को एडजस्ट किया है.


आरजेडी की तरफ से सोमवार को दो दर्जन उम्मीदवारों को सिंबल दिया गया जिनमें से आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे उम्मीदवार हैं जो पार्टी के पुराने नेताओं के परिवार से हैं. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से लेकर शिवानंद तिवारी, पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव से लेकर केंद्रीय मंत्री रह चुके जयप्रकाश यादव और कांति सिंह के परिवार के लोगों को पार्टी ने विधानसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया. इनमें रामगढ़ से जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह, ओबरा से कांति सिंह के बेटे ऋषि सिंह, शाहपुर से शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी, जमुई से जयप्रकाश यादव के भाई विजय प्रकाश और तारापुर से बेटी दिव्या प्रकाश ,नवादा से राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी और संदेश विधानसभा सीट से अरुण यादव की पत्नी किरण देवी को पार्टी ने सिंबल दे दिया. इन उम्मीदवारों को सिंबल दिए जाने के बाद अब कम से कम पार्टी के अंदर कोई यह आरोप नहीं लगा सकता कि लालू यादव केवल अपने परिवार के लोगों को ही तरजीह देते हैं.



इनमें शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी शाहपुर सीट से मौजूदा विधायक है. विजय प्रकाश जमुई से विधायक हैं जबकि नवादा सीट से राजबल्लभ यादव की पत्नी उप चुनाव लड़ चुकी है. हालांकि उन्हें जेडीयू के कौशल यादव से हार का सामना करना पड़ा था. अरुण यादव नाबालिग से रेप के मामले में फरार है और इसी वजह से उनकी पत्नी किरण यादव को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. कांति सिंह लोकसभा का चुनाव हार चुकी है लिहाजा वह अपने बेटे ऋषि सिंह को अब राजनीति में आगे कर रही है. जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह बीजेपी से 2010 का चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन आरजेडी के हाथों ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. जगदानंद सिंह की पकड़ वाली रामगढ़ सीट से इस बार सुधाकर आरजेडी के उम्मीदवार बनाए गए हैं और देखना होगा कि आरजेडी में फैमिली एडजस्टमेंट की अगली रणनीति को जनता किस हद तक स्वीकार करती है.