PATNA : पटना में किसी और के सरकारी बंगले को अपना आशियाना बनाया. बिहार में घूमने के लिए किसी और की ही गाड़ी. दिल्ली के लिए भी किसी और ने ही गाड़ी दी. जब से नेता बने तब से यही सिस्टम चल रहा है. इसी सिस्टम ने आज उनकी बेटी को झमेले में फंसा दिया. जानिये सियासी हलके में परजीवी नेता के तौर पर मशहूर नेता जी की कहानी.
सियासत का हर शख्स वाकिफ है
कुछ महीने पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का बंगला खाली कराया जा रहा था. राजद के तमाम नेता सरकार से बार बार एक सवाल पूछ रहे थे. आखिरकार जदयू के एक प्रमुख नेता किस हैसियत से पटना के बड़े सरकारी बंगले में रह रहे हैं. वे बिहार में कोई सरकारी सुविधा पाने के हकदार नहीं है फिर इतना बड़ा बंगला कैसे मिला. सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया. नेता जी आज तक उसी बंगले में विराजमान हैं. वे जब से सियासत में आये तब से सरकारी बंगले में ही रह रहे हैं लेकिन वो बंगला उनके नाम पर आवंटित नहीं है. बिहार की सियासत के किसी शख्स से पूछिये नेता जी की इस खासियत से जरूर वाकिफ होगा.
बंगला ही नहीं गाड़ी भी दूसरे की
2014 की बात है जब सत्तारूढ़ पार्टी के एक नेता को जदयू ने टिकट नहीं दिया. गुस्से में आये नेता सीधे बड़े नेता के घर पहुंचे. वहां खड़ी अपनी गाड़ी की चाबी ली और उसे लेकर चलते बने. वो गाड़ी सालों से बड़े नेता की सेवा में लगी थी लेकिन गाड़ी देने वाले को कोई फायदा नहीं हुआ. इस वाकये की सियासी हलके में खूब चर्चा हुई. लेकिन ये तो एक उदाहरण मात्र था. नेता जी के पास किसी और की गाड़ी आ गयी. एक ठेकेदार सह नेता ने परजीवी माने जाने वाले बड़े नेता को पटना से लेकर दिल्ली तक सालों अपनी गाड़ी की सेवा दी. मुंबई वाले राज्यसभा सांसद की भी गाड़ी उनकी सेवा में काफी दिनों तक रही. पटना में बड़े नेता जी जिस फार्चूनर गाड़ी से चल रहे हैं वो पार्टी के ही किसी नेता की है. कुछ दिन पहले एक फार्चूनर खराब हुआ तो एक युवा नेता की गाड़़ी मंगवा ली गयी. फिलहाल युवा नेता की ही फार्चूनर परजीवी बताये जा रहे बड़े नेता जी की सेवा में लगी है. दिल्ली में किसकी गाड़ी की सेवा ली जा रही है वो आज जगजाहिर हो चुका है.