RCP का बड़ा बयान.. PM मोदी की 'दरियादिली' से मंत्री बना हूं, ललन सिंह और मुझमें कोई फर्क नहीं

RCP का बड़ा बयान.. PM मोदी की 'दरियादिली' से मंत्री बना हूं, ललन सिंह और मुझमें कोई फर्क नहीं

PATNA : इस वक्त एक बड़ी खबर सियासी गलियारे से आ रही है. केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने के बाद जेडीयू नेता आरसीपी सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'दरियादिली' से वह केंद्र में मंत्री बने हैं. खुद बीजेपी के पास बहुमत से ज्यादा सांसद हैं. लेकिन यह पीएम मोदी की उदारता है कि उन्होंने मुझे केंद्र में मंत्री बनाया है.


दिल्ली राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में शपथ ग्रहण समारोह से बाहर निकलते ही जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने मीडियाकर्मियों से बातचीत की. मंत्री बनते ही उनका पहला रिएक्शन आया है. उन्होंने सीधे तौर पर पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया है कि उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया. आरसीपी सिंह ने कहा कि "मैंने आज तक जो जिम्मेदारी मिली है, उसे पूरा किया है." 



जेडीयू के सांसद और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी ललन सिंह के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने के सवाल पर आरसीपी सिंह कहा कि "ललन बाबू और मुझमें कोई फर्क नहीं है. दोनों एक ही हैं." कैबिनेट में मात्र एक मंत्री पद मिलने के सवाल पर आरसीपी सिंह ने कहा कि "बिहार में एनडीए की सरकार है. केंद्र में जेडीयू एनडीए का हिस्सा है. 2019 में हम केंद्र में मंत्रिमंडल में शामिल नहीं थे. लेकिन इसबार हमने विचार किया."


आरसीपी सिंह ने कहा कि "केंद्र में भारतीय जनता पार्टी को खुद ही बहुमत है. ये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उदारता है कि जितने भी लोग उनके साथ जुड़े हैं, आपने देखा कि एलजेपी के भी हैं. उनसब लोगों को एकसाथ रखा है. इसमें एक संदेश है. आप हर एक जगह जोड़-घटाव, गुणा-भाग और फॉर्मूला नहीं कर सकते. आपलोग फर्क को समझिये."


केंद्र में मंत्री बनने के बाद जब आरसीपी सिंह से दिल्ली में पत्रकारों ने ये पूछा कि क्या वे जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर बने रहेंगे तो इसपर उन्होंने सीधे कहा कि जब उनसे जिस दिन इस्तीफा मांगा जायेगा, उसी दिन जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे देंगे. आरसीपी सिंह ने कहा कि मीडिया में खुल्लम-खुल्ला जाति-धर्म पर सवाल किया जाता है. यहां जाति धर्म पर कोई भी बातचीत नहीं होती है. समावेशी विकास होता है. सबका विकास होता है.