PATNA : बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो जनता दल युनाइटेड उसमें शामिल हो गई। जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह अब केंद्र में मंत्री हैं। उन्हें इस्पात मंत्रालय का जिम्मा मिला है। मंत्री बनने के साथ आरसीपी सिंह के लिए बधाईयों का तांता लगा हुआ है। उनके दिल्ली स्थित आवास से लेकर पटना में जेडीयू कार्यालय तक जश्न का माहौल देखने को मिला। कार्यकर्ता होली और दिवाली जैसा जश्न मनाते हुए एक दूसरे को लड्डू खिलाते नजर आए लेकिन आरसीपी सिंह के शपथ लेने के 14 घंटे बाद भी अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें बधाई नहीं दिया है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या नीतीश कुमार आरसीपी सिंह के मंत्री बनने से खुश नहीं हैं? दरअसल ऐसे मौकों पर नीतीश कुमार अपने ट्विटर हैंडल से क्विट करते हुए बधाई देते हैं ट्विटर पर एक्टिव रहने वाले नीतीश अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पहले से ज्यादा सक्रिय हैं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने आरसीपी सिंह को ट्वीट कर बधाई नहीं दी।
ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार ने अपने ट्विटर हैंडल से आरसीपी सिंह के शपथ लेने के बाद कोई ट्वीट नहीं किया है। बुधवार की देर शाम तकरीबन 8:30 बजे नीतीश कुमार ने बाढ़ समीक्षा को लेकर की गई बैठक से जुड़ा ट्वीट किया लेकिन आरसीपी सिंह को ट्वीट कर बधाई नहीं दी। जानकार सूत्रों की मानें तो आरसीपी सिंह से नीतीश कुमार की बातचीत तो फोन पर भी नहीं हुई है हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं की जा सकती। लेकिन अगर यह मान भी लिया जाए कि आरसीपी सिंह और नीतीश कुमार के बीच फोन पर बातचीत हुई है, नीतीश ने आरसीपी को फोन पर मंत्री बनने को लेकर बधाई दी है तो इसके बावजूद मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से इस संबंध में कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई। आमतौर पर ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से सूचना जारी की जाती है लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है। जाहिर है नीतीश कुमार की इस खामोशी से अब सवाल पैदा होंगे।
सियासी जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार अगर आरसीपी सिंह को बधाई दे भी चुके हैं तो वह इसे दिखाना नहीं चाहते। अगर नीतीश कुमार आरसीपी सिंह के मंत्री बनने से खुश भी हैं तो वह दिखाने से फिलहाल परहेज करना चाहते हैं। नीतीश कुमार को मालूम है कि उनके करीबी ललन सिंह केंद्र में मंत्री नहीं है। साल 2019 वाली परिस्थितियों के साथ ही इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू शामिल हुआ है। ऐसे में एक मंत्री पद पर केवल आरसीपी सिंह मंत्री बने और ललन सिंह बाहर रह गए। अगर नीतीश आरसीपी के मंत्री बनने पर अपनी खुशी जाहिर करते हैं तो शायद ललन सिंह बुरा मान जाएं। संभव है नीतीश कुमार यह जोखिम नहीं लेना चाहते। इसके अलावे जेडीयू में कई ऐसे नेता भी हैं जो मंत्री बनने की रेस में थे लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। अब तो पार्टी के अंदर भी यह सवाल उठने लगा है कि अगर एक मंत्री पद के साथ ही केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होना था तो फिर 2 साल तक इंतजार क्यों किया गया? कई ऐसे सवाल हैं जो आगे और तेजी के साथ उठेंगे। अगर नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच वाकई दूरी बढ़ी हुई है तो इसका असर पार्टी पर देखने को मिलेगा लेकिन अगर दोनों मिलकर कोई खेल खेल रहे हैं तो जो हाशिए पर रह गए उन्हें भी इस खेल का अंदाजा जरूर होगा।