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1st Bihar Published by: Updated Thu, 17 Feb 2022 08:18:28 AM IST
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PATNA : केंद्रीय मंत्रिमंडल में जनता दल यूनाइटेड के शामिल होने के बाद पार्टी के अंदर जो खेल शुरू हुआ था। वह अब बेहद दिलचस्प दौर में पहुंचता दिख रहा है। दरअसल जेडीयू के अंदर इस वक्त दो धड़े काम कर रहे हैं। पहला धड़ा राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के साथ है जबकि दूसरा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के साथ आरसीपी सिंह ने पिछले दिनों पटना में अपने समर्थकों के साथ शक्ति प्रदर्शन करते हुए एलान किया था कि वह 1 मार्च यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जन्मदिन से बिहार में सदस्यता अभियान शुरू करने जा रहे हैं लेकिन आरसीपी सिंह के इसी एलान के बाद अब नया विवाद खड़ा हो गया है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ही सदस्यता अभियान की शुरुआत करता है और अक्टूबर महीने से अभियान चलाया जाएगा।
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि सदस्यता अभियान की एक प्रक्रिया होती है। पहले रसीद छपती है और उसके बाद हर स्तर पर अभियान शुरू होता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के हस्ताक्षर से ही सदस्यता अभियान की शुरुआत होती है। ललन सिंह ने कहा कि अक्टूबर महीने में पार्टी इसकी शुरुआत करेगी। यह पूछे जाने पर कि आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जन्मदिन के मौके पर सदस्यता अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं, ललन सिंह ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। साल 2005 में हमारी पार्टी की सरकार बनी और उस समय से ही ऐसी कोई परंपरा नहीं रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमारे नेता हैं लेकिन उनके बारे में किसने क्या कहा उसका जवाब वही व्यक्ति विस्तार से दे सकता है। जनता दल यूनाइटेड की तरफ से 2019 में तीन साल के लिए सदस्य बनाए गए थे, जो अक्टूबर 2022 में खत्म हो रहा है। अक्टूबर के बाद ही सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में कोई भी फैसला अकेले नहीं होता है और पूरी प्रक्रिया के बाद ही संगठन से जुड़े मामलों में निर्णय सामने आता है।
आरसीपी सिंह ने 1 मार्च से जिस अभियान की शुरुआत करने का एलान कर रखा है उसे देखते हुए अब ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच टकराव और बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। सियासी गलियारे में इसे लेकर खासी चर्चा है लेकिन सबसे बुरा हाल जेडीयू के कार्यकर्ताओं का है। जदयू के कार्यकर्ता फिलहाल यह समझ नहीं पा रहे कि वह किस नेता के साथ खड़े रहें। एक तरफ पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व है तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार में पार्टी की नुमाइंदगी करने वाले पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष। नीतीश कुमार ऐसे मामले पर ज्यादा स्पष्ट नहीं रखते। नीतीश कुमार की चुप्पी ने भी कार्यकर्ताओं को हादसा कंफ्यूज कर रखा है।