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ROHTASH : बिहार के शिक्षा मंत्री और लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के विधायक प्रोफेसर चंद्रशेखर ने एक बार फिर से विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मंदिर गुलामी का रास्ता है, जबकि शिक्षा प्रकाश का मार्ग है। शिक्षा मंत्री ने अपनी पार्टी के विधायक फ़तेह बहादुर के बयान का समर्थन करते कहा कि उन्होंने अपनी नहीं, बल्कि हमारी मां सावित्री बाई फुले की बात को देहराया है।
दरअसल, हाल ही में आरजेडी के विधायक फतेह बहादुर सिंह ने मां सरस्वती को लेकर विवादित बयान दिया था। फतेह बहादुर सिंह ने इससे पहले मां दुर्गा पर भी विवादित बयान दिया था जिसका खूब विरोध हुआ था। इसके बाद अब बिहार के शिक्षा मंत्री और विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले चंद्रशेखर ने एक बार फिर से चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा, ‘मंदिर का रास्ता गुलामी का होता है, जबकि शिक्षा प्रकाश का रास्ता। फते बहादुर (राजद विधायक) ने अपनी नहीं, बल्कि हमारी मां सावित्रीबाई फुले की बात को ही दोहराया।
मालूम हो कि, लालू यादव की पार्टी के विधायक और बिहार के मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर रोहतास के डेहरी में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने मंदिर को लेकर विवादित बयान दे डाला। उन्होंने फते बहादुर के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि मंदिर गुलामी का रास्ता होता है। वहीं, स्कूल का रास्ता प्रकाश दिखाता है।
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि अब एकलव्य का बेटा अंगूठा दान नहीं देगा, शहीद जगदेव प्रसाद का बेटा अब आहूति नहीं देगा। अब आहूति लेना जानता है। उन्होंने कहा षड्यंत्रकारी याद रखें बहुजन लोगों का इतना पसीना बहेगा कि समुदंर बन जाएगा और षड्यंत्रकारी सात समंदर पार खड़े नजर आएंगे। राजद नेता चंद्रशेकर सिंह ये बातें सात जनवरी को रोहतास में आयोजित सावित्री बाई फुले की जयंती समारोह में कही।
आपको बताते चलें कि, एक जनवरी को राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह के द्वारा लालू यादव और राबड़ी देवी के आवास के बाहर एक पोस्टर लगाया गया था। जिसमें लिखा था, मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी का मार्ग और स्कूल का मतलब होता है जीवन में प्रकाश का मार्ग। जब मंदिर की घंटी बजती है तो हमें संदेश देती है कि हम अंधविश्वास, पाखंड, मूर्खता और अज्ञानता की ओर बढ़ रहे हैं और जब स्कूल की घंटी बजती है तो हमें यह संदेश मिलता है कि हम तर्कपूर्ण ज्ञान और वैज्ञानिकता व प्रकाश की ओर बढ़ रहे हैं। अब तय करना है कि आपको किस तरफ जाना चाहिए – सावित्री बाई फुले।