PATNA : राज्य सरकार ने सूबे के 9 सहकारी बैंकों पर नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य के 9 सहकारी बैंकों पर सुपरसीड की तलवार लटकने लगी है। भारतीय रिजर्व बैंक में इन सभी बैंकों की वित्तीय स्थिति और कार्यशैली की समीक्षा कर सहकारिता विभाग से रिपोर्ट मांगी है। अब विभाग इन बैंकों की स्थिति की समीक्षा करने में जुट गया है। अगर इन सहकारी बैंकों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो इनको सुपरसीड किया जा सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि इन 9 सहकारी बैंकों का प्रबंधन सरकार अपने हाथ में ले सकती है।
सहकारिता विभाग के सचिव वंदना प्रेयसी ने बैंकों की स्थिति की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार 9 केंद्र जिला सहकारी बैंकों की रिपोर्ट पहले रिजर्व बैंक को भेज उन्हें सुपरसीड करने की अनुशंसा कर चुकी है। जिन बैंकों की स्थिति खराब है उनमें पटना, कटिहार, पूर्णिया, मुंगेर, मधुबनी, औरंगाबाद, सासाराम, पूर्वी चंपारण के साथ-साथ गया जिला सहकारी बैंक शामिल हैं। यह बैंक नाबार्ड और बोर्ड के निर्देश के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं लिहाजा इनका कैपिटल एसेट रिस्क रेशियो 9 से नीचे चला गया है। साथ ही एनपीए तय मानक 5% से ऊपर जा पहुंचा है। इन बैंकों का एनपीए 20 फ़ीसदी तक चला गया है। रिजर्व बैंक ने इन सहकारी बैंकों को स्थिति में सुधार का एक मौका दिया था।
सहकारिता विभाग ने अब एक बार फिर से सभी सहकारी बैंकों की समीक्षा का काम शुरू कर दिया है। सहकारिता सचिव के निर्देश पर हर दिन मुख्यालय से इसकी मॉनिटरिंग हो रही है। गया सहकारी बैंक की स्थिति में थोड़ा बहुत सुधार हुआ है पर अन्य की स्थिति आज भी ठीक नहीं है। इनका सी आरएआर आज भी 9 से कम है। किसी बैंक की वित्तीय स्थिति के बारे में अगर आकलन करना हो तो उसका सीआरएआर तय होता है इसके साथ साथ शेयर कैपिटल और सुरक्षित पूंजी के साथ-साथ एनपीए जैसे तथ्यों की समीक्षा की जाती है। अगर इन बैंकों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो जल्द ही सबका प्रबंधन राज्य सरकार अपने हाथों में ले लेगी।