राजनीति में एक्टिव हुईं लालू की बेटी रोहिणी आचार्या, इस सीट से लड़ेंगी लोकसभा का चुनाव! JDU छोड़ेगी सीट ?

राजनीति में एक्टिव हुईं लालू की बेटी रोहिणी आचार्या, इस सीट से लड़ेंगी लोकसभा का चुनाव! JDU छोड़ेगी सीट ?

AURANGABAD: अपने पिता लालू प्रसाद को नया जीवन देने वाली रोहिणी आचार्या राजनीति में एक्टिव होने लगी हैं। सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा है कि रोहिणी आने वाले लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। रोहिणी बीते गुरुवार को पति और भाई तेजप्रताप यादव के साथ अपने ससुराल औरंगाबाद पहुंची और क्षेत्र के लोगों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने काराकाट से चुनाव लड़ने के संकेत दिए।


दरअसल, लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्या की शादी दाउदनगर के हिच्छन बिगहा में राव रणविजय सिंह के बेटे समरेश सिंह से हुई है। शादी के बाद वे अपने पति के साथ सिंगापुर में रहती हैं। गुरुवार को रोहिणी पति समरेश सिंह और भाई मंत्री तेजप्रताप यादव के साथ अपने ससुराल पहुंची और अपने दिवंगत ससुर राव रणविजय सिंह की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुईं। इस दौरान रोहिणी ने गरीबों के बीच कंबल बांटा और क्षेत्र के लोगों से मुलाकात की। कयास लगाए जा रहें हैं कि रोहिणी आचार्या आने वाले लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से चुनाव लड़ सकती है, इसके लिए ही वे अपने ससुराल औरंगाबाद पहुंचीं और वहां क्षेत्र की जनता से मुलाकात की है।


काराकाट लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के सवाल पर रोहिणी ने पहले तो इनकार किया लेकिन जब यह कहा गया कि यदि आप काराकाट की सांसद रहेंगी तो इस इलाके का विकास तेज गति से होगा, इस पर उन्होंने कहा कि, ‘अभी तक मैं अपने मां और पिताजी की सुन रही हूं लोकिन जनता कहेगी तो उनकी भी सुन सकती हूं’। उन्होंने कहा कि फिलहाल वे जमीन पर कोई ऐसा काम नहीं कर रही हैं तो टिकट कैसे मिलेगा, जनता के बीच रहेंगी तब न टिकट मिलेगा।


बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से जेडीयू के महाबली सिंह ने जीत दर्ज की थी। इससे पहले 2014 में आरएलजेडी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा यहां से सांसद चुने गए थे। कुशवाहा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद की कांति सिंह को शिकस्त दी थी। फिलहाल काराकाट सीट जेडीयू के पास है। ऐसे में आरजेडी की नजर अपनी पुरानी सीट पर है। संभावना जताई जा रही है कि अगर रोहिणी आचार्या काराकाट सीट से चुनाव लड़ने को तैयार होंगीं तो जेडीयू के अपनी सीटिंग सीट छोड़नी पड़ सकती है।