पुल के पिलर और दीवार में फंसे बालक की मौत, अस्पताल पहुंचने से पहले बच्चे ने दम तोड़ा

पुल के पिलर और दीवार में फंसे बालक की मौत, अस्पताल पहुंचने से पहले बच्चे ने दम तोड़ा

SASARAM: करीब 25 घंटे बाद सोन पुल के पिलर और दीवार के बीच फंसे बच्चे को काफी मशक्कत के बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। लेकिन अस्पताल ले जाने से पहले रास्ते में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया। 12 साल के बच्चे की मौत से परिजनों के बीच कोहराम मचा हुआ है। 


बताया जा रहा है कि कल से ही 12 साल का बच्चा पुल के पिलर में फंसा हुआ था। 25 घंटे तक पिलर के बीच फंसे रहने से उसकी हालत खराब हो गयी थी। रेस्क्यू के बाद बच्चे को एम्बुलेंस से सासाराम सदर अस्पताल भेजा गया है। बच्चे से पुल से निकाले जाने के बाद लोगों ने थोड़ी देर के लिए राहत की सांस ली थी लेकिन जब पता चला कि बच्चा अब इस दुनियां में नहीं रहा तो मानों सन्नाटा पसर गया। अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्चे की मौत हो गयी। सदर अस्पताल के डॉक्टर ब्रजेश ने बच्चे की मौत की पुष्टि की है। 


बता दें कि सासाराम के नासरीगंज-दाऊदनगर सोन पुल के पिलर और दीवार के बीच एक 12 साल का किशोर फंस गया है। जो दो दिनों से लापता था। पिलर और दिवार के बीच फंसे होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। अधिकारियों की टीम ने पटना से एसडीआरएफ की टीम को बुलाया जिसके बाद रेस्क्यू कर बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाला गया।


सासाराम के नासरीगंज-दाउदनगर मुख्य पथ पर स्थानीय थाना क्षेत्र के जमालपुर व अतिमीगंज के निकट नासरीगंज-दाऊदनगर सोन पुल के पिलर और दीवार के बीच एक 12 वर्षीय किशोर के फंस जाने से अफरातफरी मच गयी थी। एक फुट से भी कम चौड़े दरार में फंस जाने से बालक का शरीर आंशिक रूप से दिखाई दे रहा था। इस बात की खबर मिलते ही लोगों की भारी भीड़ उमड़ गयी थी। 


बच्चे के बारे में बताया जा रहा था कि नासरीगंज के खिरियाव गांव के रहने वाले भोला साह का 12 वर्षीय पुत्र रंजन कुमार मानसिक रूप से कमजोर है। वह दो दिनों से घर से लापता था। लेकिन अचानक पता चला कि वह पुल के बीच स्थित पिलर के नीचे फंसा हुआ है। कुछ लोगों ने जब बच्चे की रोने की आवाज सुनी तो पुलिस को सूचना दिया। जिसके बाद स्थानीय स्तर पर प्रशासन की टीम की मदद से बच्चे को रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया। 


बच्चे की जान बचाने के लिए पटना से एसडीआरएफ की टीम बुलायी गयी। दरार एक तरफ से खुली हुई है और दूसरी तरफ से बंद थी। बच्चे को ऑक्सीजन की कमी न हो इसके लिए सिलिंडर और पाइप के सहारे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन दरार के भीतर पहुंचायी जा रही थी। बांस-बल्ले की सीढ़ियों की मदद से बच्चे के समीप पहुंचने की कोशिश की गयी जिसमें प्रशासन की टीम को सफलता भी मिली लेकिन जब पता चला कि बच्चे की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले हो गयी तो बचाव कार्य में जुटे लोग भी मायूस हो गये। पूरे इलाके में इस घटना की ही चर्चा हो रही है लोग बच्चे की मौत पर अफसोस जता रहे हैं।