PM मोदी के बयान पर छलका चिराग का दर्द, बताया क्यों छोड़ दिया था NDA का साथ; नीतीश के सियासी चरित्र का भी किया खुलासा

PM मोदी के बयान पर छलका चिराग का दर्द, बताया क्यों छोड़ दिया था NDA का साथ; नीतीश के सियासी चरित्र का भी किया खुलासा

PATNA: तेलंगाना की एक रैली में जीतन राम मांझी और सीएम नीतीश कुमार प्रकरण की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलजेपी (आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान के पिता दिवंगत रामविलास पासवान को अपना करीबी मित्र बताया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रामविलास पासवान का जिक्र करने पर चिराग की प्रतिक्रिया आई है। चिराग ने एक्स पर ट्वीट कर बताया कि आखिर कौन सी वजह थी कि उन्हें एनडीए का साथ छोड़ना पड़ा था। इसके साथ ही साथ चिराग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सियासी चरित्र का भी खुलासा किया है।


चिराग पासवान ने कहा कि ‘कुछ लोग कई बार मुझसे सवाल करते हैं कि 2020 में आपने एनडीए से अलग चुनाव लड़ने का निर्णय क्यों लिया। इसके दो कारण थे- पहला मुझे तब भी यकीन था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का विकास संभव नहीं था और दूसरा ये कि जिस तरह नीतीश कुमार ने मेरे पिता का अपमान किया था उसे कोई पुत्र सह नहीं सकता था। मैं उस व्यक्तिगत पीड़ा को अपने अंदर ही समेटे रखना चाहता था लेकिन तेलांगना में प्रधानमंत्री ने इस बात का ज़िक्र मंच से किया तो मुझे लगता है कि मैं साथियों के उस प्रश्न का जवाब अब देने की स्थिति में हूं’।


चिराग ने लिखा कि, ‘ मैं आभारी हूं कि प्रधानमंत्री ने बात को सार्वजनिक करते हुए याद किया कि कैसे राज्यसभा चुनाव के वक्त मुख्यमंत्री ने हमलोगों के साथ सामंती व्यवहार किया था। एक पुत्र के लिए पिता के आदर-सम्मान से बढ़ कर और क्या हो सकता है। मैंने एनडीए से अलग अकेले चुनाव लड़ने का संकल्प लिया क्योंकि मुझे नीतीश कुमार जी का नेतृत्व अस्वीकार था। पार्टी तोड़ने वालों ने सबकुछ जानते हुए स्वार्थवश मुझ पर आरोप लगाए कि उन्होंने पार्टी इसलिए तोड़ी क्योंकि वे नीतीश के साथ चुनाव लड़ना चाहते थे और मैंने ऐसा होने नहीं दिया। उस वक़्त उनके आचरण से मुझे बहुत ठेस पहुंचा’।


चिराग पासवान ने आगे लिखा, ‘मैं दुखी हुआ था क्योंकि वे भलीभांति जानते थे कि राज्यसभा चुनाव के वक्त नीतीश कुमार ने मेरे पिता के साथ कैसा बर्ताव किया था। मैं समझ नहीं पा रहा था कि जिन्हें वे अपना भगवान बताते नहीं थकते थे उनके अपमान के बावजूद अपमान करने वाले के साथ रहकर चुनाव लड़ना उन्हें कैसे मंजूर था? उस वक़्त मेरे पास इस हक़ीक़त को ज़ाहिर करने और अपनी बात को लोगों तक पहुंचाने के लिए कोई साक्ष्य नहीं था, लेकिन समय बलवान होता है शायद उन्हें आज प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद जवाब मिल गया होगा। मुझे गर्व है कि मैंने किसी मंत्री पद की लालच में अपने पिता के सम्मान से कोई समझौता नहीं किया’।