DELHI : नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर नीतीश कुमार से अपनी राहें जुदा कर चुके प्रशांत किशोर कुमार को गठबंधन के पाले में लाने के लिए किए जा रहे प्रयास असफल साबित हुए हैं। दिल्ली में प्रशांत किशोर से मुलाकात करने वाले राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा, हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ-साथ वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी को बड़ा झटका लगा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रशांत किशोर से मदद मिलने की उम्मीद लगाकर मुलाकात करने पहुंचे इन नेताओं को खाली हाथ लौटना पड़ा है।
फर्स्ट बिहार को विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रशांत किशोर ने उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी को किसी भी तरह की कोई मदद देने से मना कर दिया है। तीनों दल के नेता लगातार प्रयास कर रहे थे कि प्रशांत किशोर को अपने साथ लाया जाए लेकिन प्रशांत किशोर पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि बिहार में वह ऐसे किसी भी प्रस्ताव को लेकर दिलचस्पी नहीं रखते। महागठबंधन के इन नेताओं की प्रशांत किशोर के साथ लंबी देर तक बातचीत हुई लेकिन आखिरकार इन्हें खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ा। प्रशांत किशोर ने साफ तौर पर कहा था कि वह बिहार के विकास के लिए काम करते रहेंगे लेकिन वह कोई राजनीतिक दल बनाने नहीं जा रहे हैं पीके ने अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए कहा था कि जो भी बिहार की बेहतरी के लिए उनके साथ जुड़ना चाहता है वह साथ आ सकता है। प्रशांत किशोर ने अपने साथ लोगों को जोड़ने के लिए 'बात बिहार की' अभियान की शुरुआत कर दी है।
सूत्र बताते हैं कि दिल्ली में प्रशांत किशोर के साथ बैठक करने वाले महागठबंधन के इन नेताओं ने PK को अपने साथ लाने के लिए कई तरह के प्रस्ताव दिए लेकिन प्रशांत किशोर अपने पूर्व के स्टैंड पर कायम रहे। उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी इसके पहले शरद यादव के साथ भी पटना में बैठक कर चुके हैं। महागठबंधन में शामिल इन घटक दल के नेताओं को आरजेडी तरजीह नहीं दे रही है। महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी बनाए जाने की मांग को अब तक आरजेडी ने अनसुना कर रखा है। ऐसे में इन नेताओं को प्रशांत किशोर के रूप में उम्मीद की एक किरण नजर आई थी लेकिन अब यहां भी उन्हें मायूसी हाथ लगी है।