PATNA: पटना जिला क्रिकेट संघ में क्रिकेट संचालन के लिए तदर्थ समिति को लेकर बना संशय दूर हो गया है। तदर्थ समिति के पुनर्गठन की सूचना जारी करने को लेकर सबसे पहले आवाज इसके सदस्य रहबर आबदीन ने उठाई थी और उसे लेकर उन्होंने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के क्रियाकलाप के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था।
अब तदर्थ समिति की सूचना जारी होने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि रहबर आबदीन और बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के बीच सुलह हो गया और रहबर आबदीन की मांग की पूर्ति करते हुए बीसीए द्वारा तदर्थ समिति की सूचना जारी कर दी गई है।
पटना क्रिकेट के जानकार भी बिहार क्रिकेट संघ के इस फैसले को सही ठहराते हुए कह रहे हैं कि इससे रोज जो उठापटक का दौर चल रहा था उस पर विराम लग गया है और पटना के क्रिकेटरों के बीच संशय पूरी तरह दूर हो गया है।
सदस्य रहबर आबदीन ने कहा कि मैंने तो आज से दो-तीन महीने पहले ही बिहार क्रिकेट संघ के क्रियाकलाप को आवाज उठाई थी। मैंने कहा कि तदर्थ समिति कबतक। उन्होंने कहा कि मैंने उस समय बिहार क्रिकेट संघ द्वारा न केवल पटना समेत पूरे बिहार क्रिकेट जगत में जो तदर्थ समिति का प्रचलन चला हुआ है वह कबतक चलेगा। आखिर देर से ही सही बिहार क्रिकेट संघ ने मेरी आवाज सुनी तदर्थ समिति की सूचना जारी कर सारे संशय को दूर कर दिया।
तदर्थ समिति के सदस्य रहबर आबदीन ने कहा कि कल तक सुनील कुमार उर्फ सुनील रोहित तदर्थ समिति को लेकर हल्ला बोल कर रहे थे। धरना देने और सड़क पर लड़ाई लेने की बात कर रहे थे पर जैसे ही नई तदर्थ समिति में उनके भाई अरुण कुमार सिंह का नाम जुड़ा उनका सुर ही बदल गया। तदर्थ समिति की सारी कमियां दूर हो गई। इससे सीधा पता चलता है कि सुनील कुमार उर्फ सुनील रोहित को क्रिकेट और क्रिकेटरों से प्रेम नहीं है उन्हें केवल अपने और अपनों के फायदे से मतलब है।
रहबर आबदीन ने कहा कि सुनील कुमार समेत कई ऐसे लोग हैं जो खुद तो क्रिकेट का विकास कर नहीं सकते हैं और जिनका पैशन क्रिकेट है और वह इसी पैशन के चलते कोई व्यक्ति क्रिकेट के विकास के लिए दिन-रात लगा हुआ उसमें बाधक बनने का काम हमेशा करते रहते हैं।
इस घटना के बाद पटना समेत पूरे बिहार क्रिकेट जगत को पता चल गया है कि क्रिकेट का सच्चा हितैषी कौन है? उन्होंने कहा कि सब पर्दाफाश हो चुका है और आने वाले दिनों में बचे लोगों के चेहरे से पर्दा हट जायेगा। उन्होंने कहा कि तदर्थ समिति पहले भी बेहतर और संवैधानिक तरीके से काम कर रही थी और आगे भी करती रहेगी।