पटना में अटल काव्यांजलि का भव्य आयोजन, आर के सिन्हा बोले- अटल जी की कविताएं गंगा जैसी पवित्र

पटना में अटल काव्यांजलि का भव्य आयोजन, आर के सिन्हा बोले- अटल जी की कविताएं गंगा जैसी पवित्र

PATNA: भाजपा के संस्थापक सदस्य, पूर्व राज्यसभा सांसद और नीरज स्मृति न्यास के अध्यक्ष आर के सिन्हा ने कहा कि दुनिया अटल बिहारी वाजपेयी को केवल एक राजनेता के रूप में नहीं बल्कि उनके विराट व्यक्तित्त्व और एक संवेदनशील कवि के रूप में भी हमेशा याद करती रहेगी। रवीन्द्र किशोर सिन्हा सोमवार को राजधानी के रविन्द्र भवन में नीरज स्मृति न्यास के तत्वधान में आयोजित अटल काव्यांजलि का शुभारम्भ कर रहे थे। देश के कई राज्यों से आए हिंदी जगत के प्रख्यात कवियों ने अपनी गीतों और कविताओं के माध्यम से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम की शुरुआत में आराधना प्रसाद की गजल संग्रह "चाक पर घूमती रही मिट्टी" का लोकार्पण  से किया गया। काव्यांजलि की अध्यक्षता खुद रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने की जबकि मंच संचालन प्रसिद्द कवि गजेन्द्र सोलंकी ने किया।


इस अवसर पर आर के सिन्हा के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन, संगठन मंत्री भीखू भाई दलसनिया ने दीप प्रज्ज्वलित कर अटल काव्यांजलि का शुभारम्भ किया। इस मौके पर आर के सिन्हा ने कहा अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं उतनी ही पवित्र हैं जितनी पवित्र गंगा हैं। काव्यांजलि की शुरुआत करते हुए आर के सिन्हा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्त्व को याद करते हुए कहा कि यह देश उनको केवल एक प्रधानमंत्री के रूप में ही नहीं बल्कि एक संवेदनशील कवि और महामानव के रूप में भी याद करता रहेगा। आर के सिन्हा ने बताया कि लगातार 52 वर्षों तक अटल बिहारी वाजपेयी का साथ उन्हें मिलता रहा। अटल बिहारी वाजपेयी जब भी पटना आते थे तो उनके घर में ही रुकते थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1966 से ही वे उनके साथ रहे। इस मौके पर उन्होंने हिंदी के प्रख्यात कवि गोपालदास नीरज को भी याद किया और कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी और नीरज ने कई कवि सम्मेलनों में एक साथ कविता पाठ किया है। दोनों उम्र में भी सामान थे और दोनों की कविताओं की गहराई भी दोनों के व्यक्तित्त्व की तरह गहरी थी।


अटल काव्यांजलि में डॉ. सुरेन्द्र शर्मा, डॉ. विष्णु सक्सेना, डॉ. बुद्धिनाथ मिश्रा, सुरेश अवस्थी, डॉ. गजेंद्र सोलंकी, बलराम श्रीवास्तव, राधाकांत पांडेय, शुभी सक्सेना, स्वेता सिंह, आराधना प्रसाद ने अपनी कविताएं सुनाईं। इस मौके पर कवि पदमश्री डॉ. सुरेन्द्र शर्मा ने अपनी ओजपूर्ण आवाज में "मंदिरों मस्जिद की या किसी इमारत की माटी तो लगी उसमे भाई मेरे भारत की' गाकर श्रोताओं को खूब झकझोरा। उन्होंने कहा कि विश्व विजेता जो बनता था, उसको झाड़ दिया हमने, साहस इतना कि अन्तरिक्ष का सीना फाड़ दिया हमने और विफल शास्त्र के हो जाने पर शस्त्र उठाना पड़ता है, गाकर श्रोताओं को देश की बढ़ती ताकत से रू-ब-रू कराया।


इसके अलावा डॉ. विष्णु सक्सेना ने जब यह पक्तियां पढ़ी" याद तुम्हारी कर कर के, जब मेरे नयन सजल हो बैठे, मन हो गया भागीरथ जैसा, आंसू गंगाजल हो बैठे"। सुनकर श्रोताओं ने जमकर तालियां बजाईं। वहीं जब बुद्धिनाथ मिश्र ने अपनी कविता "कवियों के कवि नेताओ के नेता,तुम हो सदा अटल, पावनता में तुम गंगाजल, दृढ़ता में हो विंध्याचल"। को सुनाकर अटल जी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित की।


तुम्हें प्रस्ताव नैनो का अगर स्वीकार हो जाए,अंधेरे कोने में दिल के मेरे उजियार हो जाए,तुम्हारे ही कदम पर मैं चलूंगी साथ जीवन भर,हमारे प्रेम का दुश्मन भले संसार हो जाए। उपरोक्त कविता पाठ स्वेता सिंह ने करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि शुभी सक्सेना ने भोजपुरी में दुनिया में मेधा-प्रतिभा के जब-जब चर्चा आई जी, देशरत्न राजेन्द्र बाबू के नाम सभी दोहराई जी का सस्वर पाठ करके देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भी अपनी कविता के माध्यम से श्रद्धांजली अर्पित की। 


तिरंगा और देशप्रेम की कविताओं से गजेंद्र सोलंकी जी ने हर सुनने वालों के सीने में देशभक्ति का अलख जगाने का काम किया। उनकी कविता "जनगणमन के अमर स्वरों का गाना है तिरंगा, भारत के स्वर्णिम सपनो की शान है तिरंगा, बलिदानों पवनो के झोको से जो लहराया ,भारत मां का गौरव और सम्मान तिरंगा। इस काव्यांजलि में प्रख्यात कवि डॉ. सुरेश अवस्थी, डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, डॉ. बलराम श्रीवास्तव, राधाकांत पाण्डे,आराधना प्रसाद के साथ सुरेश अवस्थी ने भी अपनी कविताओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।