PATNA : कोरोना महामारी और आपदा की हर दिन समीक्षा करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में प्रतिदिन 10 हजार कोरोना जांच कराने का टारगेट रखा है। मुख्यमंत्री हाई लेवल मीटिंग के दौरान अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि राज्य के अंदर कोरोना टेस्ट की क्षमता बढ़ाई जाए। प्रवासी मजदूरों की संख्या को लेकर मुख्यमंत्री ने टेस्टिंग कैपेसिटी बढ़ाने का आदेश दिया है लेकिन पटना जिले में स्वास्थ्य विभाग में मुख्यमंत्री के इस अभियान की हवा निकाल कर रख दी है।
पटना जिले में अब एक दिन के अंदर 60 सैंपल की ही कोरोना जांच की जाएगी। पटना के सिविल सर्जन डॉ आरके चौधरी ने कहा है कि विभागीय बैठक में यह फैसला किया गया है कि एक दिन में जांच की सीमा को सीमित किया जाए। सिविल सर्जन डॉ आर के चौधरी के मुताबिक कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है जांच लैब की क्षमता सीमित होने के कारण हर किसी की जांच कर पाना संभव नहीं है लिहाजा अब इसे सीमित करते हुए एक दिन में 60 सैंपल की जांच करने का निर्णय लिया गया है। अब 60 से ज्यादा जांच कराने की स्थिति में सिविल सर्जन को कारण बताना होगा सिविल सर्जन ने साफ तौर पर कहा है कि 60 से ज्यादा सैंपल की जांच तभी की जाएगी जब चेन हिस्ट्री के मामले आएंगे।
पटना के सिविल सर्जन डॉ आर के चौधरी का मानना है कि कोरोना टेस्ट के बिना भी लक्षण वाले संक्रमित व्यक्ति 21 दिन की क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी होने के बाद बिल्कुल स्वस्थ हो सकते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही कोरोना जांच का दायरा बढ़ाना चाहते हो लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उनके इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रखते हैं और यही वजह है कि मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद पटना जिले में कोरोना जांच की सीमा तय दी गई है।