PATNA : पटना की जिला परिषद अंजू देवी को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. जिला परिषद की अध्यक्ष अंजू देवी को बर्खास्त कर दिया गया है. यानी कि मैडम की कुर्सी चली गई है. अंजू देवी की बर्खास्तगी पर पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी की सहमति मिलने के बाद विभाग ने अनुमोदन दे दिया है. जिला परिषद की अध्यक्ष पर आरोप है कि वह 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के तहत योजनाओं के चयन करने के लिए बैठक नहीं कर रही थीं और इनके अड़ियल रवैये के कारण पटना में विकास का काम काफी लंबे समय से रुका हुआ था.
आपपको बता दें कि पिछले दिनों पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने जिला परिषद अध्यक्ष पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इस नोटिस का जवाब अध्यक्ष ने 16 अगस्त को दिया था. 17 अगस्त को जिला परिषद की बैठक हुई, जिसमें काफी हो-हंगामा हुआ. इस दौरान जिला परिषद अंजू देवी और उपाध्यक्ष ज्योति सोनी के बीच काफी खींचतान देखने को मिला. इसी खींचतान के कारण कार्यवाही पंजी पर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी और पटना के उप विकास आयुक्त ने हस्ताक्षर नहीं किया.
अधिकारी के इस कदम के बाद जिला परिषद अंजू देवी अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गईं. बुधवार को भी इनका धरना जारी रहा. इन्होंने कार्यपालक पदाधिकारी और पटना के डीडीसी पर तानाशाही का आरोप लगाया. लेकिन 15वें वित्त आयोग के आवंटन के खर्च के लिए विभाग के निर्देश के बावजूद बैठक नहीं बुलाने को लेकर इन्हें बर्खास्त कर दिया गया. बताया जा रहा है कि 17.20 करोड़ रुपये जिला परिषद को मिला है. लेकिन महत्वपूर्ण संचिकाओं को अपने पास लंबित रखी थी.
बर्खास्तगी की खबर को लेकर जिला परिषद अध्यक्ष अंजू देवी ने बताया कि उन्हें बर्खास्तगी की सूचना नहीं मिली है. अब वे न्यायालय की शरण में जाएंगी.