पटना के बाद अब नालंदा में मिला मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज़, बढ़ रहा खतरा

पटना के बाद अब नालंदा में मिला मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज़, बढ़ रहा खतरा

PATNA : बिहार में मंकीपॉक्स ने दहशत फैलाना शुरू कर दिया है। पटना के बाद अब नालंदा के राजगीर में भी मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज पाया गया है। खबर फैलते ही राज्यभर में हड़कंप मच गया है। चिंता की बात इसलिए भी है क्यूंकि बिहार में फिलहाल इसके जांच की कोई सुविधा नहीं है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग ने उनका सैंपल लेकर पुणे भेज दिया है, जहां उसकी जांच की जाएगी। आपको बता दें, बिहार में मंकीपॉक्स का खतरा अब बढ़ने लगा है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की कल यानी मंगलवार को हाईलेवल मीटिंग भी हुई।



आपको बता दें, पटना में मंकीपॉक्स की एक संदिग्ध महिला मरीज़ पाई गई है, जो खाजेकलां थाना इलाके के गुरहट्टा खत्री गली की रहने वाली है। दरअसल, पहले महिला को बुखार आया और बाद में उसके हाथ में जुलपती जैसा हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉक्टर और पीएमसीएच के विशेषज्ञों ने उसके सैंपल ले लिए। स्वास्थ विभाग के अधिकारीयों की मानें तो ये मंकिपॉक्स का मामला नहीं है। 



वहीं, नालंदा जिले के राजगीर में एक युवक को भी मंकीपॉक्स का संदिग्ध पाया गया है। उसका भी सैंपल जांच के लिए पुणे भेजा जा रहा है। रिपोर्ट 4-5 दिन में आएगी। राज्य में मंकीपॉक्स के बढ़ते दहशत को देखते हुए अब अलर्ट जारी कर दिया गया है। 



आपको बता दें, मंकीपॉक्स का 4 मामला अभी तक देश में सामने आया हैं। केरल में 3 और दिल्ली में 1 मामले आने के बाद पटना में भी मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध केस सामने आया है। पटना सिटी के गुरहट्टा में रहने वाली महिला का सैंपल लिया गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही यह क्लीयर हो पाएगा की मंकीपॉक्स वायरस है या नहीं। यह वायरस अब तक 77 देशों में फैल चुका है। इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए डब्लूएचओ ने हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है।



 वहीं, अब इसके जांच को लेकर सवाल उठने लगे हैं। लोगों भी जानना चाहते है कि इसकी जांच कैसे की जाएगी। तो अब उनके सवालों का जवाब भी सामने आ गया है। भारत की Genes2Me कंपनी ने एक ऐसा RT-PCR टेस्ट तैयार किया है जिसकी मदद से 50 मिनट के अंदर सटीक रिजल्ट मिल सकेगा। इससे यह पता चल पाएगा कि व्यक्ति मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित है या नहीं। 



आईसीएमआर से जब तक हरी झंडी नहीं मिल जाती तब तक इसे मार्केट में नहीं उतारा जा सकता। इस किट का उपयोग अस्पताल, रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर जांच के दौरान किया जा सकता है। अभी यह टेस्ट मार्केट में नहीं आया है सिर्फ रिसर्च के लिए ही इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।