पटना हाईकोर्ट के 7 जजों ने SC से लगाई गुहार, 24 फरवरी को होगी सुनवाई, जानिए क्या है पूरा मामला

पटना हाईकोर्ट के 7 जजों ने SC से लगाई गुहार, 24 फरवरी को होगी सुनवाई, जानिए क्या है पूरा मामला

PATNA : पटना हाई कोर्ट के 7 जजों के द्वारा  देश की ऊपरी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई अर्जी पर सुनवाई की तारीख तय कर दी गई है। यह अर्जी पटना हाईकोर्ट के 7 जजों का GPF (जनरल प्रोविडेंट फंड) खाता बंद होने को लेकर लगाया गया है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर सुनवाई  की तारीख तय कर दी गई है। CJI ने कहा कि इस मामले में 24 फरवरी को सुनवाई होगी। 


दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ के सामने यह मामला सामने आया। पीठ के समक्ष एक वकील ने इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि सात न्यायाधीशों के जीपीएफ खाते बंद कर दिए गए हैं और मामले में जल्द सुनवाई की जानी चाहिए. प्रधान न्यायाधीश ने कहा,  क्या? न्यायाधीशों का जीपीएफ खाता बंद हो गया? याचिकाकर्ता कौन है? मामले को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध करें।


मालूम हो कि, देश के इतिहास में यह पहली घटना है जब भेदभाव किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट के सात मौजूदा जज न्याय की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हों। सुप्रीम कोर्ट से पटना हाईकोर्ट के सात जजों की याचिका पर सुनवाई का अनुरोध किया गया तो CJI भी चौंक पड़े हो। इस मामले में जस्टिस शैलेंद्र सिंह, जस्टिस अरुण कुमार झा, जस्टिस जितेंद्र कुमार, जस्टिस आलोक कुमार पांडे, जस्टिस सुनील दत्ता मिश्रा, जस्टिस चंद्र प्रकाश सिंह और जस्टिस चंद्र शेखर झा द्वारा संयुक्त रूप से दायर याचिका को अधिवक्ता प्रेम प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया है। 


जानकारी हो कि, जब इन जजों को अप्रैल में  2010 में बिहार की सुपीरियर न्यायिक सेवाओं के तहत सीधी भर्ती के रूप में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें पिछले साल हाईकोर्ट के जजों के रूप में नियुक्त किया गया था। जब वे न्यायिक अधिकारी थे, तब वे राष्ट्रीय पेंशन योजना का हिस्सा थे. 2016 में, बिहार सरकार ने एक नीति बनाई थी कि नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने वाले लोग अपनी एनपीएस योगदान राशि वापस पाने के हकदार होंगे और इसे या तो उनके बैंक खाते में रखा जा सकता है या जीपीएफ खाते में जमा किया जा सकता है। 


आपको बताते चलें कि, हाईकोर्ट के जजों का वेतन और सेवा की शर्तें अधिनियम, 1954 की धारा 20 का प्रावधान प्रदान करता है, “एक न्यायाधीश जिसने संघ या राज्य के तहत किसी भी अन्य पेंशन योग्य सिविल पद पर कार्य किया है, वह उस भविष्य निधि में अंशदान करना जारी रखेगा जिसमें वह था। GPF एक तरह का प्रोविडेंट फंड अकाउंट ही है, लेकिन यह हर तरह के एंप्लाइज के लिए नहीं होता है। GPF का फायदा केवल सरकारी कर्मचारियों को ही मिलता है।