पटना हाईकोर्ट की अनोखी पहल, बिहार के मजदूर को मिला बॉडीगार्ड

पटना हाईकोर्ट की अनोखी पहल, बिहार के मजदूर को मिला बॉडीगार्ड

PATNA:  आमतौर पर आपने MP,MLA,MLC और बड़े पदाधिकारियों को बॉडीगार्ड के साथ देखा होगा। कभी किसी मजदूर को बॉडीगार्ड लेकर चलते शायद ही देखा होगा। दरअसल भागलपुर में ईंट भट्टा पर मजदूरी करने वाले संतोष को पटना हाईकोर्ट ने सुरक्षा मुहैया कराया है। संतोष की सुरक्षा के लिए एक बॉडीगार्ड हर वक्त साथ रहेगा। 


पीड़ित संतोष ने बताया कि उसकी मां को गांव के कुछ दबंग डायन कहकर प्रताड़ित किया करते थे और विरोध करने पर मारपीट करते थे। जिससे परेशान होकर संतोष ने दबंगों के खिलाफ थाने में केस दर्ज कराया। इस बात की खबर मिलते ही दबंग केस को उठाने के लिए दवाब बनाने लगे। जब संतोष ने केस वापस लेने से इनकार कर दिया तब दबंगों ने उनके 9 साल के छोटे भाई की निर्मम हत्या कर दी। जिसके बाद काफी डर गया और दबंगों पर कार्रवाई करने की मांग को लेकर थाने गया। 


डीएसपी और एसपी तक से न्याय की गुहार लगायी। लेकिन कार्रवाई नहीं होता देख पीड़ित संतोष पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता शिवनंदन भारती के पास पहुंचा और अपनी आपबीती बतायी। पीड़ित संतोष की बातों को एडवोकेट शिवनंदन भारती ने कोर्ट में रखा और पीड़ित को सुरक्षा मुहैया कराने जाने की मांग की। पटना हाईकोर्ट ने इस मामले पर पहल की और पीड़ित को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया। वही एडवोकेट शिवनंदन भारती ने भी इस मामले में अहम भूमिका निभायी। पीड़ित संतोष को कानून पर पूरा विश्वास है उसे उम्मीद है कि उसके भाई को इंसाफ जरूर मिलेगा। 


वही संतोष की सुरक्षा में लगाए गये जवान जीतेंद्र ने बताया कि अक्सर वीआईपी की सुरक्षा का जिम्मा उनके कंधों पर रहती है लेकिन आज आम जनता की सुरक्षा का दायित्व उन्हें सौंपा गया है। संतोष की सुरक्षा अब हमारी जिम्मेदारी है। जब तक मैं हूं तब तक इनकी जान की गारंटी मेरे कंधों पर है यदि कोई गोली चलेगी तो सबसे पहले मेरे सीने पर लगेगी।


 वही एडवोकेट शिवनंदन भारती का कहना है कि संतोष और उनकी मां की गवाही के आधार पर आरोपी को सजा मिलेगी। इस घटना पर दुख जताते हुए उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक युग में किसी को डायन कहकर प्रताड़ित करना कहा तक उचित है। यही नहीं महिला के बेटे की हत्या तक कर दी गयी है। लगातार मिल रही धमकी के बाद पीड़ित ने उच्च न्यायालय से सुरक्षा की गुहार लगायी थी। जिसके बाद न्यायालय ने पहल की। इस तरह के फैसले से न्यायपालिका के प्रति आस्था और बढ़ेगी।